इमाम इब्ने कसीर अपनी तारिख (इतिहास) की किताब अल बिदाया वन निहाया में नक़ल करते है: इब्ने जुबैर رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ से रिवायत है की वो फरमाते है : ऐ लोगो तुम्हारे साथी कतल हो गए . यजीद ने गुनाह ऐ अज़ीम किया और उसमे ये भी की मदीना तय्यबा को तीन दिन के लिए मुबाह कर दिया. ये उसकी सबसे बड़ी खता थी. बहुत से सहाबा और उनके बच्चे शहीद किये गए और उसने इब्ने ज़ियाद को हुक्म दियां की इमाम हुसैन को शहीद करो .उन तीन दिनों में मदीना में गुनाहे अज़ीम किये गए जिनको अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता . यजीद अपनी सल्तनत को बचाने के लिए मुस्लिम बिन उक्बह को भेज रहा था पर अल्लाह के करम से ऐसा नहीं हुआ और अल्लाह तबारक व तआला ने उसे फना कर दिया और अल्लाह ने उसकी पकड़ की बेशक उसकी पकड़ सख्त और दर्दनाक है.
(अल बिदाया वन निहाया जिल्द 8 सफ़ा 283)
यहाँ तक की बाद में इब्ने ज़ियाद(इमाम हुसैन का कातिल) ने भी उसका साथ नहीं दिया-
“जब यजीद ने इब्ने ज़ियाद को ख़त लिखा की तुम मक्कह पर हमला करो और अब्दुल्लाह इब्ने जुबर رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ को शहीद कर दो तो उसने ऐसा करने से मना किया और कहा “अल्लाह की कसम मै अब ये दूसरा काम नहीं करूँगा तुम जैसे फ़ासिक़ के लिए मेने पहले ही रसूलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم के नवासे का कतल किया है और तुम कहते हो की मै हरमैन शरिफैंन में रहने वालो पर जंग मुसल्लत करूँ??”
(अल बिदाया वन निहाया जिल्द 8 सफ़ा 279)
यजीद का जलीलुल कद्र ताबेई सईद बिन मुसय्यब رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ को मारने का हुक्म : अल मुदैनी رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ से रिवायत है की सईद बिन मुसय्यब رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ को मुस्लिम बिन उक़बा के पास लाया गया और कहा गया की यजीद की बेअत कर लो तो सईद बिन मुसय्यब رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ ने कहा की : मै उस शख्स से बेअत करूँगा जिसमे अबू बकर और उमर رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ की सीरत मोजूद हो. मुस्लिम उक़बा ने उन्हें कतल करने का हुक्म दिया पर एक शख्स ने कहा की ये आदमी (सईद बिन मुसय्यब) मजनून है(उनको बचाने के लिए) और इस पर उनको छोड़ दिया गया.
(अल बिदाया वन निहाया जिल्द 8 सफ़ा 281)
अल्लामा इब्ने हजर अस्क़लानी ने तो अपनी किताब के बाब का नाम ही “लअन यजीद” रखा उसमे फरमाते है : यजीद की तारीफ और मुहब्बत नहीं करेगा मगर गुमराह क्यूंकि यजीद में कुछ ऐसी खस्लतें थी जिससे उससे मुहब्बत करने वाले का इमांन जाता रहता है क्यूंकि अल्लाह ही के लिए मुहब्बत और अल्लाह ही के लिए नफरत इमान की अलामत है
(अल इम्ता बिल अल अरबाइनअल मतबैनतुस समाः सफ़ा ९६)
यही इमाम नक़ल करते है की यहया बिन अब्दुल मलिक से रिवायत है की एक बार उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ उमवी رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ के दरबार में यज़ीद पर बात हो रही थी की किसी ने यजीद बिन मुआविया को अमीरुल मोमिनीन कह दिया तो उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ رضی اﷲ تعالیٰ عنہنّ ने उसे 20 कोड़े लगाने का हुक्म दिया.
(तहजीबुद तहजीब जिल्द 6 सफ़ा 313)
इमाम जलालुद्दीन सुयूती رضي اللہ تعالی عنہ तारीखुल खुलफा में : मेरे आका (इमाम हुसैन رضي اللہ تعالی عنہ ) ! आप शहीद हुए और आपका सर इब्ने ज़ियाद के पास थाली में लाया गया . अल्लाह की लानत हो जिसने आपको शहीद किया और इब्ने ज़ियाद पे अल्लाह की लानत और यज़ीद पे भी अल्लाह की लानत हो.
(तारीखुल खुलफा सफ़ा 165)
अल्लामा आलूसी رضي اللہ تعالی عنہ अपनी जलीलुल कद्र तफसीर तफसीर रूहुल मआनी में सुरह मुहम्मद की आयात २२-२३ की तफसीर करते हुए लिखते है : यजीद पर लानत भेजनी की दलील ये आयत है जैसा की इमाम बर्ज़न्दी से अल अशात में इमाम हैतमी से स्वैकुल मुहर्रिका में इमाम अहमद رضي اللہ تعالی عنہ से रिवायत है की उनके बेटे अब्दुल्लाह ने यजीद पर लानत भेजने के मुताल्लिक पूछा तो इमाम अहमद ने फ़रमाया की उस पर क्यों लानत न हो की अल्लाह ने अपनी किताब में उस पर लानत फरमाई है उनके बेटे ने पूछा की वो आयात पढ़िए जिसमे अल्लाह ने लानत भेजी है इमाम अहमद ने सुरह मुहम्मद की आयत २२-२३ तिलावत फरमाई और फ़रमाया की यजीद से बड़ा फसादी कौन है?
(तफसीर रूहुल मआनी जिल्द 9तहत आयत सुरह मुहम्मद आयत २२-२३)
इमाम दह्बी लिखते है : वो (यजीद ) एक बदतरीन नासिबी था (जो अहले बैत से बुग्ज़ रखते है) वो शराबी और फ़ासिक था
(सियार अलम अन नुबुला जिल्द ४ सफ़ा 37-38)
इमाम इब्ने कसीर लिखते है : सलफुससालिहीन से हमें पता चलता है की यजीद दुनियादार था वो शराबी था गाने सुनता था अमरद लडको के साथ रहता था ढोल ताशे बजाता था कुत्ते पालता था और मेंडक भालू और बंदरो की लड़ाई करवाता था
(अल बिदाया वन निहाया जिल्द 8 सफ़ा 1169)
इमाम इब्ने असीर तारीख अल कामिल में फरमाते है : अगर यजीद मुझे १००००० दिरहम भी दे तब भी मै उसकी खुराफात दिखने से बाज़ नहीं आऊंगा वल्लाह वो एक शराबी था.
(तारिख अल कामिल जिल्द 3 सफ़ा 450)
अल्लामा आलूसी फरमाते है : यजीद पलीद ने रसूलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم की नबुव्वत का इनकार किया जो उसने सुलूक मदीना मक्काह और अहले बैत के लोगो के साथ किया इससे ये साबित होता है की वो काफ़िर था
(तफसीर रूहुल मआनी)