हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इस संदर्भ में नई अधिसूचना जारी की है. इसके अनुसार ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को हटाने के बाद छात्रों को परीक्षा में पास होने के लिए प्रदर्शन बेहतर करना होगा. यदि कोई छात्र वार्षिक परीक्षा में असफल होता है, तो उसे दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा.बिहार में 5वीं और 8वीं कक्षा के करीब 25 लाख छात्रों के लिए इस साल की वार्षिक परीक्षा का पैटर्न पूरी तरह बदल गया है. अब ये परीक्षाएं बोर्ड की तर्ज पर होंगी.जानकारी के अनुसार पहले ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के तहत 8वीं तक किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जाता था. लेकिन अब, यदि छात्र 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया जाएगा. हालांकि, छात्रों को अपनी प्रदर्शन सुधारने का एक और मौका मिलेगा. परीक्षा परिणाम घोषित होने के दो महीने के अंदर फिर से परीक्षा आयोजित की जाएगी. इसमें भी असफल होने पर छात्रों को उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा.इस नीति का उद्देश्य बच्चों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत करना है. यह देखा गया था कि ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के कारण छात्र पढ़ाई में गंभीरता नहीं दिखा रहे थे. नई नीति लागू होने के बाद स्कूलों में पढ़ाई को लेकर अधिक जिम्मेदारी और अनुशासन होगा.
बोर्ड की तर्ज पर होंगी बिहार में 5वीं और 8वीं कक्षा की परीक्षा
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