एबीसी की रिपोर्टर जोहरीन शाह का आशियाना भी जलकर हो गया ख़ाक

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लॉस एंजिल्स की इस आग ने लाखों लोगों के घरों को पूरी तरह से राख में बदल दिया. उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनके सपनों का आशियाना पलभर में तबाह हो गया. इन्हीं पीड़ितों में शामिल हैं एबीसी की रिपोर्टर जोहरीन शाह. इस जंगल की आग ने उनके सामने ही स्वर्ग जैसे घर को हमेशा के लिए मिट्टी में मिला दिया. उन्होंने खुद इसका दर्द इंस्टाग्राम पर बयां किया है.

उन्होंने लिखा, “आग में मेरा घर जलकर खाक हो गया. सब कुछ खत्म हो गया. हमने पिछले हफ्ते ही वहां शिफ्ट होना शुरू किया था. बार-बार, मैंने ऋषि (पति) से कहा कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि यह स्वर्ग जैसा घर हमारा है. हमने वहां सिर्फ एक रात बिताई. बस एक दिन. वह घर एकदम परफेक्ट था. जादुई था. हमने सोचा था कि हम उसी घर में पूरी जिंदगी गुजारेंगे. पीसीएच (पैसिफिक कोस्ट हाईवे) से सिर्फ पांच मिनट की दूरी पर, फिर भी ऐसा लगता था जैसे हम किसी और ग्रह पर हैं. हिरण घर के पास आते थे, पक्षियों की आवाजें किसी ट्रॉपिकल आइलैंड जैसी लगती थीं, और समुद्र का नजारा कैलिफोर्निया के सपने जैसा था. हमारे पास आड़ू, नेक्टरिन, नींबू और एवोकाडो के पेड़ थे – और सलाद और स्ट्रॉबेरी के लिए एक छोटा सा बाड़ा था, जो जंगली जानवरों से सुरक्षित था.”

जोहरीन शाह ने आगे लिखा, “लेकिन यह सब कुछ से बढ़कर था. यह ऋषि की छह साल की परफेक्ट कोस्टल घर की खोज का नतीजा था. उन्होंने इसे नवंबर में पाया और हमने क्रिसमस के मौके पर इसे खरीदा था. बचपन में, मेरे माता-पिता का अपना घर नहीं था. बहुत से लोगों की तरह, मैंने काम किया, बचत की, और त्याग किए ताकि मैं वह हासिल कर सकूं जो मेरे माता-पिता के पास नहीं था. मैं ज्यादातर खाना घर पर ही बनाती हूं, अभी तक बच्चे नहीं हुए हैं, और मजे के लिए यात्रा नहीं करती. इसी वजह से, सालों में, मैंने हमारे डाउन पेमेंट के 20% के लिए पर्याप्त बचत कर ली थी.”

उन्होंने लिखा, मैं बहुत गर्व महसूस कर रही थी. और फिर – बस ऐसे ही – सालों की मेहनत और बचत के बाद, सब कुछ चला गया. दोस्तों का कहना है कि अब हम इसे अपनी पसंद के अनुसार बना सकते हैं. लेकिन मेरे लिए, यह पहले से ही परफेक्ट था. मुझे ईमानदारी से कहना होगा. जितना मैं ऋषि के साथ इसे फिर से बनाने के लिए फिर से उत्सुक हूं, हम उतने ही दुखी भी हैं. मुझे पता है कि हम बहुत भाग्यशाली हैं – हम सुरक्षित हैं, और हमने अभी तक घर में ऐसी कोई चीज नहीं रखी थी, जिससे हमारी भावनाएं जुड़ी हो. लेकिन मैं कभी-कभी खुद को मजबूत और समझदार महसूस करती हूं, और कभी-कभी डर जाती हूं जैसे मैं चार साल की बच्ची हूं. मुझे यह भी डर है कि यह अभी खत्म भी नहीं हुआ है.”

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