पतंग उड़ाने के लिए ज्यादातर चाइनीज मांझे का इस्तेमाल होने लगा है. ये प्लास्टिक और धातु के मिश्रण से बना होता है. चाइनीज मांझा सामान्य मांझे की तुलना में काफी धारदार होता है. ये इलेक्ट्रिक कंडक्टर होता है, जिसका मतलब ये है कि चाइनीज मांझे में करंट आने का खतरा रहता है. ये मांझा आसानी से टूटता भी नहीं है. यही कारण है कि इसमें फंसने के बाद कई पक्षी और इंसानों की मौत तक हो जाती है.चाइनीज मांझे को कुछ लोग प्लास्टिक का मांझा भी कहते हैं. चाइनीज मांझा दूसरे मांझों की तरह धागों से तैयार नहीं किया जाता. इसे नायलॉन और मैटेलिक पाउडर से बनाया जाता है. इसमें एल्युमिनियम ऑक्साइड और लेड मिलाया जाता है. इसके बाद इस मांझे पर कांच या लोहे के चूरे से धार भी लगाई जाती है, जिस वजह से ये मांझा और भी घातक हो जाता है. ये मांझा प्लास्टिक की तरह लगता है और स्ट्रेचेबल होता है. जब हम इस मांझे को खींचते हैं, तो ये टूटने की बजाय और बड़ा हो जाता है. जब इस मांझे से पतंग उड़ाई जाती है, तो इसमें कुछ अलग कंपन पैदा होता है.
चाइनीज मांझा पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है. इसे खरीदने और बेचने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15 के तहत 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. भारतीय न्याय संहिता की धारा 188 के तहत 6 महीने तक की सजा या जुर्माना हो सकता है. पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत 50,000 रुपये तक का जुर्माना और 5 साल की सजा का प्रावधान है. जिला प्रशासन और पुलिस चीनी मांझा बेचने वालों पर छापेमारी करती है.