जान की परवाह ना करते हुए आदिल शाह ने की पर्यटकों को बचाने की कोशिश

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पहलगाम आतंकी हमले में घोड़े वाले सैयद आदिल हुसैन की मौत

आदिल हुसैन पर्यटकों को घोड़े पर घुमाते थे। उन्होंने एक आतंकवादी से राइफल छीनने की कोशिश की। आदिल शाह पर्यटकों को कार पार्किंग से बैसारन यानी घास का मैदान तक ले जाते थे। वहां पैदल ही जाया जा सकता है। बंदूक छीनने की कोशिश के दौरान आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी।

सैयद के पिता सैयद हैदर शाह ने कहा कि उनका बेटा मंगलवार को कमाने के लिए पहलगाम गया हुआ था. दोपहर तीन बजे के आसपास उन्हें पहलगाम में हमले के बारे में पता चला. फिर उन्होंने आदिल को फोन किया लेकिन उस वक्त उसका फोन बंद था. एएनआई से बातचीत में उन्होंने बताया कि दोपहर चाढ़े चार बजे फोन चालू हुआ लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. फिर वह पुलिस स्टेशन पहुंचे तो उनको पता चला कि उनका बेटा हमले में घायल हो गया है.पिता ने कहा कि वह मानते हैं कि उनका बेटा शहीद हुआ है. वह निर्दोष था. उन्होंने सवाल किया कि उसे क्यों मारा गया? आदिल की हत्या के लिए जो भी जिम्मेदार हैं उनको सजा मिलनी चाहिए. आदिल की मां का हाल बहुत बुरा है. वह रो-रोकर बेजान हो गई है. उसका परिवार बहुत गरीब है.इस घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर है। लोगों का कहना है कि आदिल शाह ने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों को बचाने की कोशिश की। उनकी बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा। पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है।

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