इमाम सादिक का इल्म कमालात, महारत तक मशहूर है। सब का इत्तेफाक है कि आप के इल्म से तमाम उलेमा तक कासिर थे।
यह एक वैज्ञानिक, चिन्तक और दार्शनिक थे।यह आधुनिक केमिस्ट्री के पिता जाबिर इब्ने हय्यान (गेबर) के उस्ताद थे।यह अरेबिक विज्ञान के स्वर्ण युग का आरंभकर्ता थे। इन्होंने विज्ञान की बहुत सी शाखाओं की बुनियाद रखी। 20 अप्रैल 700 में अरेबिक भूमि पर जन्मे उस वैज्ञानिक का नाम था जाफर अल सादिक. इस्लाम की एक शाखा इनके नाम पर जाफरी शाखा कहलाती है जो इन्हें इमाम मानती है. जबकि सूफी शाखा के अनुसार ये वली हैं. इस्लाम की अन्य शाखाएँ भी इनकी अहमियत से इनकार नहीं करतीं.
इमाम सादिक ने अरस्तू की चार मूल तत्वों की थ्योरी से इनकार किया और कहा कि मुझे आश्चर्य है कि अरस्तू ने कहा कि विश्व में केवल चार तत्व हैं, मिटटी, पानी, आग और हवा. मिटटी स्वयं तत्व नहीं है बल्कि इसमें बहुत सारे तत्व हैं। इसी तरह जाफर अल सादिक ने पानी, आग और हवा को भी तत्व नहीं माना। हवा को भी तत्वों का मिश्रण माना और बताया कि इनमें से हर तत्व सांस के लिए ज़रूरी है। मेडिकल साइंस में इमाम सादिक ने बताया कि मिटटी में पाए जाने वाले सभी तत्व मानव शरीर में भी होते हैं। इनमें चार तत्व अधिक मात्रा में, आठ कम मात्रा में और आठ अन्य सूक्ष्म मात्रा में होते हैं।
उन्होंने एक शिष्य को बताया, “जो पत्थर तुम सामने गतिहीन देख रहे हो, उसके अन्दर बहुत तेज़ गतियाँ हो रही हैं.” उसके बाद कहा, “यह पत्थर बहुत पहले द्रव अवस्था में था. आज भी अगर इस पत्थर को बहुत अधिक गर्म किया जाए तो यह द्रव अवस्था में आ जायेगा.”
ऑप्टिक्स (Optics) का बुनियादी सिद्धांत ‘प्रकाश जब किसी वस्तु से परिवर्तित होकर आँख तक पहुँचता है तो वह वस्तु दिखाई देती है.’ इमाम सादिक का ही बताया हुआ है. एक बार अपने लेक्चर में बताया कि शक्तिशाली प्रकाश भारी वस्तुओं को भी हिला सकता है. लेजर किरणों के आविष्कार के बाद इस कथन की पुष्टि हुई. इनका एक अन्य चमत्कारिक सिद्धांत है की हर पदार्थ का एक विपरीत पदार्थ भी ब्रह्माण्ड में मौजूद है. यह आज के मैटर – एंटी मैटर (Matter-Antimatter) थ्योरी की झलक थी. एक थ्योरी इमाम ने बताई कि पृथ्वी अपने अक्ष के परितः चक्कर लगाती है. जिसकी पुष्टि बीसवीं शताब्दी में हो पाई. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थिर नहीं है. सब कुछ गतिमान है.
ब्रह्माण्ड के बारे में एक रोचक थ्योरी उन्होंने बताई कि ब्रह्माण्ड हमेशा एक जैसी अवस्था में नहीं होता. एक समयांतराल में यह फैलता है और दूसरे समयांतराल में यह सिकुड़ता है.
कुछ सन्दर्भों के अनुसार इमाम के शिष्यों की संख्या चार हज़ार से अधिक थी. दूर दूर से लोग इनके पास ज्ञान हासिल करने के लिए आते थे. इनके प्रमुख शिष्यों में Father of Chemistry जाबिर इब्ने हय्यान, इमाम अबू हनीफ़ा, जिनके नाम पर इस्लाम की हनफी शाखा है, तथा मालिक इब्न अनस (Malik Ibn Anas), मालिकी शाखा के प्रवर्तक, प्रमुख हैं.
विडंबना रही कि दुनिया ने इमाम जफ़र अल सादिक की खोजों को हमेशा दबाने की कोशिश की. इसके पीछे उस दौर के अरबी शासकों का काफी हाथ रहा जो अपनी ईर्ष्यालू प्रकृति के कारण इनकी खोजों को दुनिया से छुपाने की कोशिश करते रहे.
इसके पीछे उनका डर भी एक कारण था. इमाम की लोकप्रियता में उन्हें हमेशा अपना सिंहासन डोलता हुआ महसूस होता था. इन्हीं सब कारणों से अरबी शासक मंसूर ने 765 में इन्हें ज़हर देकर शहीद कर दिया. और दुनिया को अपने ज्ञान से रोशन करने वाला यह सितारा हमेशा के लिए धरती से दूर हो गया.