अमेरिका की मदद से इज़राइल जिस तरह की गुंडागर्दी कर रहा है, वह पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक सकता है:मौलाना अरशद मदनी

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नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ईरान पर इज़राइल के हालिया हमलों की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें राज्य प्रायोजित आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन करार दिया। उन्होंने कहा कि इज़राइल द्वारा ईरान की परमाणु स्थापनाओं और आवासीय क्षेत्रों पर हमला संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और वैश्विक नियमों की स्पष्ट अवहेलना है। मौलाना मदनी ने कहा कि हम शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि इज़राइल क्षेत्र में जिस प्रकार की गुंडागर्दी और अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है, वह अमेरिका और पश्चिमी देशों की संरक्षण के बिना संभव नहीं है। उन्होंने अमेरिका को हथियारों का व्यापारी और इंसानियत का दुश्मन करार देते हुए कहा कि अमेरिका और इज़राइल उन सभी मुस्लिम देशों को निशाना बना रहे हैं, जो अपनी रक्षा शक्ति को मजबूत करके आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं। जमीयत उलमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इज़राइल की इच्छा पर पहले इराक पर हमला करके उसे तबाह किया गया और अब ईरान को टारगेट बनाया जा रहा है, क्योंकि वह भी रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर था। मौलाना मदनी ने इस बात का स्वागत किया कि सऊदी अरब ने ईरान पर इज़राइल के हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। मौलाना मदनी ने कहा कि अमेरिका की मदद से इज़राइल जिस तरह की गुंडागर्दी कर रहा है, वह पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक सकता है। उन्होंने आगे कहा कि ग़ज़ा में जो नस्लकुशी और तबाही हो रही है, उसका असली जिम्मेदार भी अमेरिका है। अमेरिका न केवल ग़ज़ा की बर्बादी और अरबों की जनसंहार में शामिल है, बल्कि वह चाहता है कि ग़ज़ा को खाली करवा कर वहां यहूदियों को बसाया जाए। मौलाना मदनी ने कहा कि एक तरफ अमेरिका ग़ज़ा में इज़राइल की हिंसा का समर्थन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर वह ईरान पर इज़राइली हमलों में भी उसका पूरी तरह साथ दे रहा है। उन्होंने मुस्लिम जगत और पूरे इस्लामी दुनिया से इस कठिन घड़ी में एकजुट रहने की अपील भी की। मौलाना मदनी ने कहा कि जब ग़ज़ा को हमारी आंखों के सामने तबाह किया जा रहा है, वहां इतिहास की सबसे भयंकर नस्लकुशी की जा रही है और इज़राइल स्वतंत्र देशों पर खुलेआम हमला कर रहा है, ऐसे में मुस्लिम देशों और न्यायप्रिय दुनिया को एकजुट हो जाना चाहिए।

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