वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा सूद ने कहा, ‘खूबसूरत दिखना चाहना गलत नहीं है, लेकिन इसके लिए जो तरीका अपनाया जा रहा है, वो बेहद चिंता का विषय है. एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट एक मेडिकल प्रक्रिया है, न कि कॉस्मेटिक फैंसी ट्रेंड. एंटी-एजिंग इंजेक्शन उन प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं जिनमें चेहरे की झुर्रियां, ढीलापन या बढ़ती उम्र के अन्य लक्षणों को कम करने का दावा किया जाता है. इन ट्रीटमेंट्स की कुछ श्रेणियां हैं.’
एंटी एजिंग की तीन प्रक्रियाएं
एंटी एंजिंग में तीन श्रेणियां शामिल हैं. इसमें बोटॉक्स, डर्मल फिलर और स्किन बूस्टर शामिल हैं. इन तीनों की अलग अलग प्रक्रियाए हैं और तीनों को अलग अलग कार्यों के लिए अपनाया जाता है: डॉ. नेहा सूद ने बताया कि:
- बोटॉक्स (Botulinum toxin type A): इससे झुर्रियां कम दिखती हैं. बोटॉक्स को कम मात्रा में चेहरे की उन मांसपेशियों में इंजेक्ट किया जाता है, जहां झुर्रियां बनने लगती हैं जैसे माथा, आंखों के किनारे या भौंहों के बीच. इससे झुर्रियां गायब हो जाती हैं और स्किन टाइट दिखने लगती है.
- डर्मल फिलर: त्वचा के नीचे हायलूरोनिक एसिड जैसी सामग्री डाली जाती है, जिससे खोई हुई मात्रा (volume) वापस आती है. ये त्वचा को फुलाव देते हैं, जिससे गाल, होंठ या आंखों के नीचे के गड्ढे भर जाते हैं.’
- स्किन बूस्टर / PRP (Platelet Rich Plasma): त्वचा की गुणवत्ता सुधारने वाले उपचार, जिनमें शरीर से लिया गया प्लाज्मा इस्तेमाल होता है. स्किन बूस्टर्स का काम चेहरे की त्वचा को भीतर से हाइड्रेट करना और ग्लो बढ़ाना होता है. ये भी इंजेक्शन के माध्यम से दिए जाते हैं और इनके लिए भी प्रशिक्षित विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है.आज की डिजिटल पीढ़ी उम्र के असर को चेहरे पर दिखना गुनाह मान चुकी है.जहां पहले एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों की जरूरत मानी जाती थी, वहीं अब 20 से 30 साल की उम्र के युवा भी ‘प्रीवेंशन इज बेटर दैन क्योर’ के नाम पर बोटॉक्स लगवा रहे हैं, लेकिन क्या ये उपाय सुरक्षित हैं? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इन मेडिकल प्रोसिजर को बिना सही जानकारी और उचित निगरानी के बिना अपनाया जाए, तो यह जीवन के लिए घातक भी बन सकते हैं.