बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी बयान जारी किया है। उन्होंने कहा- “जमीयत उलेमा-ए-हिंद को एक और बड़ी कामयाबी मिली। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पांच आरोपियों की मौत की सज़ा से बरी कर दिया और सात अन्य की आजीवन कारावास की सज़ा भी रद्द की। यह फैसला 2006 के 7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सुनाया गया। यह फैसला 19 साल बाद आया है, जो बॉम्बे हाई कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को गलत ठहराया। जमीयत उलेमा महाराष्ट्र की लीगल सेल का सफल प्रयास सराहनीय है। यह सत्य और न्याय की जीत है। निर्दोष लोगों का जीवन बर्बाद करने वालों को जवाबदेह ठहराए बिना न्याय अधूरा है। सांप्रदायिक प्रशासन और पक्षपाती अधिकारियों के उत्पीड़न और ज्यादतियों के खिलाफ उम्मीद की एकमात्र किरण अदालतें हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो ज़िम्मेदारियाँ सरकारों को निभानी चाहिए थीं, वे अब न्यायपालिका निभा रही है। मैं उन वकीलों को बधाई देता हूं जिन्होंने आरोपियों के बचाव में दिन-रात मेहनत की।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सत्य और न्याय की जीत बताया
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