लखनऊ: अदालत ने वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी नरेश दीक्षित को सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए हैं.
वरिष्ठ पत्रकार एवं समाज सेवी नरेश दीक्षित एडवोकेट को वर्ष 2016 से सुरक्षा प्राप्त है। जिसे हटाने के लिए मल्लावां-हरदोई के विधायक आशीष सिंह पटेल ने षडयंत्र कर झूठी एवं फर्जी शिकायत को आधार बनाकर पुलिस अधीक्षक उन्नाव ने 8 जून को पुलिस आर आई को मौखिक निर्देश देकर सुरक्षा हटा दी गई थी। जबकि यह सुरक्षा शासन की उच्च स्तरीय सुरक्षा समिति के अनुमोदन पर सुरक्षा को छः माह आगे बढ़ा दिया गया था। ज्ञातव्य हो गंज मुरादाबाद से नयागाँव तक सड़क का दोहरीकरण एवं निर्माण कार्य की स्वीकृत शासन द्वारा की गई थी जिसके निर्माण का प्रयास 2016 से नरेश दीक्षित द्वारा शासन स्तर पर किया किया जा रहा था। उक्त सड़क निर्माण के लिए 24 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है, जिस पर विधायक की नजर लगी हुई थी।सड़क का निर्माण कार्य 02 जून से गंज मुरादाबाद-उन्नाव से सुबह 8 बजे प्रारंभ हुआ था। जिसका भूमि पूजन समाज सेवी द्वारा जेसीबी ड्राइवर के अनुरोध पर किया था। इस पूजन कार्य को विधायक आशीष सिंह पटेल ने अपनी प्रतिष्ठा बनाकर मा मुख्य मंत्री के दरबार में जाकर उनके विरुद्ध तथ्यहीन, झूठी, एवं मनगढ़ंत फर्जी शिकायतें कर दरबारी अधिकारियों से हरदोई के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को प्रेसराइस कर थाना मल्लावां में झूठी/ फर्जी एफआईआर संख्या-0199 दिनांक 9 जून को दर्ज करा दी गई। इसी फर्जी रिपोर्ट का आधार बनाकर विधायक ने उनकी सुरक्षा को उन्नाव पुलिस अधीक्षक से हटवा दी थी। हरदोई जनपद के थाना मल्लावां में फर्जी एफआईआर को मा हाईकोर्ट इलाहाबाद की बेंच लखनऊ ने रिट संख्या सी-5474/2025 को विद्वान न्यायाधीशों ने शासन को फटकार लगाते हुए एफआईआर पर किसी भी प्रकार की जांच करने पर स्टे कर दिया था। वर्ष 2016 से प्राप्त सुरक्षा को फर्जी ढंग से हटाने के सन्दर्भ में 13 जून को मा मुख्यमन्त्री सहित प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी उत्तर प्रदेश, सहित पुलिस अधीक्षक उन्नाव को लिखित रूप अवगत कराया गया था कि मेर जीवन भय को देखते हुए सुरक्षा पूर्व की भाँति जारी रखी जाए। लेकिन पुलिस अधीक्षक द्वारा सुरक्षा वापस न करने पर 16 जुलाई को शासन एवं जिला प्रशासन उन्नाव को पार्टी बनाकर रिट दाखिल कर दी गई। 21 जुलाई रिट संख्या- सी 6873/ 2025 कोर्ट संख्या 2 में विद्वान अधिवक्ता रजत कुमार सिंह एवं राजकुमार सिंह ने जोरदार बहस करते हुए मा कोर्ट से कहा कि शासन के आदेश को पुलिस अधीक्षक कैसे रोक सकते है? जबकि पिटीशनर की सुरक्षा 03 जून को शासन की उच्च स्तरीय सुरक्षा सीमित द्वारा छः माह के लिए पुनः बढा दी थी। बहस के दौरान सरकार के अधिवक्ता कोर्ट के समक्ष निरुत्तर होने पर समय बढ़ाने की मांग पीठ से करते रहे जिसे मा कोर्ट ने इंकार कर 24 घंटे में पिटीशनर की सुरक्षा बहाल कर चार सप्ताह के अंदर एफिडेविट प्रस्तुत करें।