लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देशभर के चुनावों में “वोट चोरी” के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की विशेष टीम ने छह महीने तक विभिन्न राज्यों की मतदाता सूचियों की गहन जांच की और बड़ी मात्रा में फर्जीवाड़े के सबूत जुटाए।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में चुनावी सूची में भारी गड़बड़ियां हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए ‘खतरे की घंटी’ बताया और चुनाव आयोग से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
राहुल गांधी ने प्रेसवार्ता में बताया कि उनकी टीम को मतदाता सूचियों में निम्नलिखित गंभीर खामियाँ मिलीं:
डुप्लिकेट वोटर: एक ही व्यक्ति का नाम कई बार दर्ज।
गलत पते: वोटर लिस्ट में फर्जी और अस्तित्वहीन पते।
असाधारण भीड़: एक ही पते पर दर्जनों मतदाता दर्ज।
फर्जी फोटो: पहचान के लिए लगाई गईं नकली तस्वीरें।
फॉर्म-6 का दुरुपयोग: वोटर जोड़ने की प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी।
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है।”
कांग्रेस के अनुसार, कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर लगभग 1,04,000 वोटर डुप्लिकेट पाए गए। इसी तरह महाराष्ट्र में पिछले पाँच सालों में जितने वोटर जोड़े गए, उतने ही सिर्फ पाँच महीनों में जोड़ दिए गए, जो शक पैदा करता है।
राहुल गांधी ने टीम का गठन कब और कैसे किया — इस पर खुलकर नहीं बताया। केवल इतना कहा गया कि यह एक छह महीने लंबी प्रक्रिया थी, जिसमें तकनीकी जानकारों और डेटा एक्सपर्ट्स ने योगदान दिया।
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से चार सवाल पूछे और कहा, “अगर आप BJP के साथ नहीं हैं तो इसे साबित कीजिए। हमारी रिपोर्ट का जवाब दीजिए।” उन्होंने आयोग से फॉर्म-6 की प्रक्रिया की समीक्षा की भी मांग की।
फिलहाल, चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की तरफ से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि आयोग कांग्रेस से रिपोर्ट की प्रति और शपथपत्र (affidavit) माँग सकता है।
राहुल गांधी का यह कदम विपक्ष की रणनीति को धार देने की कोशिश मानी जा रही है। आने वाले चुनावों में यह मुद्दा केंद्र में रह सकता है। अब सबकी नजरें चुनाव आयोग की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
क़ौफ़ रिपोर्ट