हमारे देश में महिलाओं के लिए स्तन या छाती का कैंसर एक बड़ी समस्या है।। स्तन कैंसर के मामले देर से पता लगने के कारण मृत्यु दर बढ़ रही है। अधिकांश महिलाएं सामाजिक मर्यादा संकोच और घर के माहौल में खुलापन न होने के कारण ब्रेस्ट वक्ष या छाती में छोटी सी गांठ होती है तो अपने करीबियों को भी खुलकर नहीं बता पाती हैं ।
हमारे देश में ब्रेस्ट स्तन या वक्ष के कैंसर के बारे में महिलाओं में जागरूकता फैलाने के लिए लगातार प्रयास करने की ज़रुरत है क्योंकि शरीर के अन्य अंगों के मुकाबले में स्तन कैंसर का डाटा भयावह है। भारतीय महिलाओं में आज भी शरीर के अन्य अंगों के कैंसर के मुकाबले में स्तन कैंसर से ग्रसित होने वाली महिलाएं सबसे ज़्यादा हैं। हर एक लाख भारतीय महिलाओं में 25.8 महिलाओं में ब्रेस्ट या स्तन कैंसर पाया जाता है और एक लाख में से 12.7 औरतें इसी कैंसर के परिणामस्वरूप मर जाती हैं। राज्यों और शहरों के मान से देखे तो हर एक लाख महिलाओं में से दिल्ली में 41 महिलाएं… चेन्नई में 37.9 महिलाएं… बेंगलोर में 34.4 महिलाएं… भोपाल व इन्दौर में यह करीब 32.8 महिलाए व तिरुवनंतपुरम में 33.7 महिलाएं पाई जा रही हैं ।
यह रिकॉर्ड बताता है कि बड़े शहरों में महिलाएं स्तन कैंसर से ग्रामीण इलाकों की तुलना में कम ग्रसित हो रही हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के तुलनात्मक अध्ययन में भारत में स्तन कैंसर से होने वाली मौतें 1 लाख पर 33.9% हैं । जबकि दुनिया के दूसरे देशों में जब हम स्तन कैंसर से मरने वाली महिलाओं की संख्या देखते हैं तो यह काफी कम हैं जो कि अमेरिका में यह 10% और आस्ट्रेलिया में 10. 5% है।
दुर्भाग्य से हमारे देश भारत में स्तन कैंसर के परिणामस्वरूप इतनी ज़्यादा महिला मृत्यु दर चिंता का विषय है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि अफ्रीका और मध्य पूर्व में मामलों की दर कम होने पर भी दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में जीवित रहने की दर कम है।
शुरुआती पहचान और जागरूकता की कमी जीवित रहने की दर को कम करने के मुख्य कारणों के रूप में देखा गया है।यह समस्या भारत जैसे विकासशील देश में बढ़ती दरों के साथ और भी मुश्किल हो गयी है।
कारण
जब स्तन में कुछ कोशिकाएं अनियंत्रित तौर पर असामान्य रुप से आपस मे बटकर बढ़ने लगती है और कोशिकाओं के आपस में बनने की यह प्रक्रिया सामान्य से बहुत अधिक होती है तब यह एक गांठ या लम्प का रुप ले लेती है। सामान्यत: यह गांठ दुग्ध ग्रंथि में और बगल की लिम्फ की गांठ में बढ़ती है… जिसे इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा IDC कहते है।
जीन में म्यूटेशन (परिवर्तन) की वजह से स्तन की कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होती है। इसमें कोई भी आबादी और नस्ल नहीं बच सकती है।
स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता जगाने के लिए अक्टूबर का महीना “स्तन कैंसर जागरूकता माह मनाया जाता है” और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी ओर से इस संदेश के ज़रिए लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करें।
स्तन कैंसर क्या हैं?
स्तन कैंसर स्तन में कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी है… आमतौर पर लोब्यूल्स और दुग्ध नलिकाओं में घुसकर… वे स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं… कुछ मामलों में… स्तन कैंसर स्तन के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है…।
स्तन कैंसर से होने के खतरे कैसे बढ़ते हैं?
महिलाओं में स्तन कैंसर के बढ़ाने वाले कई कारण हैं…
1). पारिवारिक इतिहास… यदि आपके परिवार में मां-नानी दादी बुआ बहन को ब्रेस्ट कैंसर हो चुका था तब इसकी बहुत संभावना है कि आप के शरीर मे मौजूद BRCA1, BRCA2 और P53 जैसे जीनों मे कभी भी म्यूटेशन (परिवर्तन) या अनियंत्रित ग्रोथ होने लगे जिसके नतीजे मे स्तन मे कैंसर की लम्प या गठान बनना शुरु हो जाए…
2). लंबे समय तक अंतर्जात एस्ट्रोजेन या गर्भ निरोधक दवाइयां लेते रहने के कारण…
3). समय से पहले पहला मासिक धर्म… व देर से रजोनिवृत्ति..
4). हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
5). आनियमित जीवनशैली ओर नशीली ड्रग्स व शराब का अत्याधिक उपयोग…
6) शारीरिक निष्क्रियता…मोटापा
और सबसे ज़्यादा खतरा उन महिलाओं को होता है
जो अपने बच्चे को जन्म देने के बाद कम समय के लिए दूध पिलाती हैं…या स्वयं के बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं या कम कराती हैं…
स्तन कैंसर के प्रकार
1). एन्जिओसारकोमा (यह बहुत कम मरीज़ो मे होता हे) 2). डक्टल कार्सिनोमा इन साइटू (DCIS)
3). इन्फलामेटरी ब्रेस्ट कैंसर
4). इन्वेसिव लोबुलर कार्सिनोमा
5). लोबुलर कार्सिनोमा इन साईटू (LCIS)
6). मेल ब्रेस्ट कैंसर
7). पेजेट डिसिज़ आफ ब्रेस्ट
8). रिकरेन्ट ब्रेस्ट केंसर
स्तन कैंसर को चरण
0, IA, IB, IIA, IIB, IIIA, IIIB, IIIC और चरण IV में वर्गीकृत किया गया है…
हर एक चरण कैंसर के फैलाव को दर्शाता है… जहां अंतिम चरण मेटास्टेसिस को शरीर के अन्य भागों में दर्शाता है…अंतिम चरण बहुत ख़तरनाक है और इसमें जिंदा रहने की उम्मीद बहुत कम होती है…
देश की महिलाओं को स्तन कैंसर के शुरुआती संकेतों और लक्षणों को जानना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि जीवित रहने की दर बढ़ सके और हमारी महिलाओ को स्तन कैंसर से पूरी तरह से बचा जा सके…।
स्तन कैंसर के लक्षण
जब किसी भी महिला को स्तन कैंसर होने लगता हे तब वह अपनी कुछ निशानियां देता है जिनको गंभीरता से लेना चाहिए…। और जिन्हें किसी को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए… ।
स्तन में गांठ या मस्से
स्तन कैंसर के मामलों में दिखाई देने वाला यह सबसे आम लक्षणों में से एक है…स्तन में गांठों की जांच की जानी चाहिए चाहे गांठें कोमल ही क्यों न हों… ।
पूरे स्तन या किसी हिस्से में सूजन
स्तन के एक हिस्से या पूरे स्तन में किसी भी तरह की सूजन एक समस्या का कारण है हालांकि यह संक्रमण या गर्भावस्था जैसी स्थिति में भी हो सकता है… लेकिन स्तन की त्वचा में जलन या डिंपलिंग (गढ्ढा पड़ना) जैसे अन्य लक्षण हैं या नहीं यह खोज करना महत्वपूर्ण है… खुद से की गई स्तन परीक्षण किसी भी असामान्य परिवर्तन की जांच करने में मदद करेगी… ऐसा होने पर महिलाओं को तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए… ।
स्तन की त्वचा में परिवर्तन भी स्तन कैंसर का एक संकेत हो सकता है
इसमें शामिल है जलन/त्वचा का लाल होना…
त्वचा का मोटा होना…
स्तन ऊतक के डिंपलिंग…
त्वचा की बनावट में बदलाव…
निप्पल में बदलाव
निप्पल से किसी भी तरह के असामान्य तरल निकालने को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए… साथ ही निप्पल का अंदर की ओर को दबना भी स्तन कैंसर का लक्षण हो सकता है… अगर निप्पल में दर्द हो तो उसकी भी चिकित्सक से जांच करानी चाहिए… ।
अंडरआर्म में गांठ
अगर अंडरआर्म में गांठ होती है… तो इसकी स्तनों से संबंधित होने की संभावना बहुत ज़्यादा होती है… स्तन का ऊतक अंडर आर्म्स तक होता है…साथ ही स्तन के कैंसर हाथों के नीचे मौजूद लिम्फ नोड्स से भी फैल सकते हैं…।
रोकथाम या पहले से ही लक्षणों को पहचान लेना
महिलाओं में स्तन कैंसर को बढ़ाने वाले कारणों को कम करने के लिए
1). महिलाओं को स्वस्थ वज़न बनाए रखना चाहिए… ।
2). महिलाओं को धूम्रपान, नशा और अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए… ।
3). खान पान में ज्यादा सब्जियों मौसमी फलों को खाना… मछली और कम वसा या चर्बी वाले खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार करना…।
4). जीवनशैली में बदलाव के साथ नियमित हल्का शारीरिक कसरत करते रहना… ।
5). यदि परिवार में किसी को स्तन कैंसर हो चुका है ओर ज़रा भी स्तन की तरफ से कुछ सामान्य नहीं लग रहा है तब फौरन डाक्टर की सलाह लेकर मैमोग्राम करवाना चाहिए…।
इलाज
अलग अलग परिस्थितियों में हर केस में… केस के लक्षणों के आधार पर इलाज करने वाले डाक्टर अपना निर्णय लेते हैं…। आम तौर पर पहले चरण में सर्जरी के द्वारा स्तन को पूर्णरुप से निकाल देते हैं । और फिर हिस्टोपैथोलाजी रिपोर्टस व आर पी आर मार्कर के आधार पर कीमोथेरेपी रेडियोथेरेपी व हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है…। कई बार यदि स्तन में ट्यूमर का साईज़ बढ़ जाता है तब पहले कीमोथेरेपी से ट्युमर के साईज़ को सिकोड़ा जाता है… फिर उचित समय पर आपरेशन के द्वारा स्तन को निकाल दिया जाता है… ।
मनौवेज्ञानिक देखभाल
आमतौर पर देखने में आता है कि महिलाएं हर उम्र में अपने स्तन को सुन्दरता का प्रतीक मानती हैं… और उसको आपरेशन के द्वारा निकालने को सहज तौर पर राज़ी नहीं होती हैं और आपरेशन के बाद कई बार मनोवैज्ञानिक तौर पर हीन भावना का एहसास करती हैं…। ऐसी अवस्था में उनको बहुत ज़्यादा केयर ओर मानसिक सपोर्ट देने की ज़िम्मेदारी परिवार के सदस्यों रिश्तेदारों और मित्रों पर आती है कि वह मरीज़ को हर तरह से सहयोग करें और ज़िन्दगी के प्रति उनमे उमंगों ओर ऊर्जा का संचार करते रहे।
-रिज़ खान