दिल्ली :अदालत ने यह फैसला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़े मामले में दिया, जो तेज रफ्तार और लापरवाही से कार चलाते हुए हादसे का शिकार हो गया था। यह हादसा 18 जून 2014 को हुआ था, जब एन.एस. रविश अपनी फिएट लिनिया कार से कर्नाटक में स्थित मल्लासांद्रा गांव से अरसीकेरे शहर जा रहे थे। उनके साथ उनके पिता, बहन और बहन के बच्चे सवार थे। रविश ने तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाई और ट्रैफिक नियम तोड़े। मायलानहल्ली गेट के पास उन्होंने गाड़ी पर नियंत्रण खो दिया, जिससे कार पलट गई। इस हादसे में रविश बुरी तरह चोटिल हो गए और उनकी मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर कोई ड्राइवर अपनी लापरवाही या तेज रफ्तार के कारण स्टंट करते हुए या गलत तरीके से गाड़ी चलाते हुए मर जाता है, तो उसके परिवार को मुआवजा देने के लिए बीमा कंपनियां बाध्य नहीं होंगी। यह फैसला रफ्तार के शौकीनों और स्टंट करके लोगों का ध्यान खींचने वालों के लिए सख्त संदेश माना जा रहा है। जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और आर. महादेवन की बेंच ने एक मामले में मृतक की पत्नी, बेटे और माता-पिता की मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया।