(रईस खान)
मुस्लिम समाज में बेरोज़गारी की समस्या कई कारणों से है – शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट, इंडस्ट्री से कनेक्शन और आर्थिक अवसरों की कमी। इसे दूर करने के लिए सिस्टमैटिक मेहनत ज़रूरी है। यहाँ कुछ ठोस सुझाव दिए जा रहे हैं:
1. शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट
मज़बूत बेसिक और हायर एजुकेशन पर फोकस करें।
सिर्फ डिग्री नहीं, बल्कि जॉब-ओरिएंटेड कोर्सेज़ जैसे ITI, डिजिटल मार्केटिंग, इलेक्ट्रिकल, सोलर एनर्जी, ऑटोमोबाइल, हेल्थकेयर, AI, Data Entry, आदि पर ध्यान दें।
लड़कियों की शिक्षा पर भी बराबर ध्यान, क्योंकि महिला स्किल्ड वर्कफ़ोर्स बनने से आय दोगुनी हो सकती है।
2. स्वरोज़गार (Self Employment)
छोटे स्तर पर बिज़नेस शुरू करने के लिए माइक्रोफाइनेंस, सरकारी योजनाएँ और NGO सपोर्ट का इस्तेमाल करें।
टेलरिंग, फूड प्रोसेसिंग, ऑनलाइन सर्विस, हैंडीक्राफ्ट, ई-कॉमर्स जैसे सेक्टर में स्कोप है।
को-ऑपरेटिव मॉडल (समूह बनाकर बिज़नेस) अपनाएँ, ताकि रिस्क और निवेश दोनों साझा हों।
3. सरकारी और प्राइवेट स्कीम्स से जुड़ना
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), स्टार्टअप इंडिया, मुद्रा लोन जैसी स्कीम्स का लाभ उठाना।
CSR (Corporate Social Responsibility) फंड से ट्रेनिंग और रोजगार के प्रोग्राम चलाए जा सकते हैं।
4. नेटवर्किंग और इंडस्ट्री से लिंक
मुस्लिम युवाओं को इंडस्ट्री एक्सपोज़र देना—इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप, ट्रेनिंग से।
सफल मुस्लिम उद्यमियों और प्रोफेशनल्स से मेंटॉरशिप प्रोग्राम शुरू करना।
5. डिजिटल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग
फ्रीलांसिंग प्लेटफॉर्म (Upwork, Fiverr, Freelancer) पर काम करना सीखें।
YouTube, Amazon, Meesho, Flipkart पर अपने प्रोडक्ट्स बेचें।