आज़म ख़ान की रिहाई और जौहर यूनिवर्सिटी

Date:

(रईस खान)
आज आज़म ख़ान की रिहाई उनके, उनके परिवार और उन सब लोगों के लिए राहत और ख़ुशी की बात है जो इंसाफ़ में यक़ीन रखते हैं। अदालत ने यह साबित कर दिया कि झूठ और फ़र्ज़ी मुक़दमे हमेशा जीतते नहीं।

साथ ही जौहर यूनिवर्सिटी की ज़मीन का मामला भी सामने है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी ज़मीन को निजी ट्रस्ट को देना नियमों का उल्लंघन है। इस फ़ैसले का असर आज़म ख़ान की सियासी और सामाजिक छवि पर पड़ा है, लेकिन उनके समर्थक अभी भी उनके साथ हैं।

रिहाई के बाद आज़म ख़ान एक बार फिर समाज के उपेक्षित, पीड़ित और अपमानित लोगों के साथ खड़े होकर सामाजिक न्याय और साझी तहज़ीब की आवाज़ बुलंद करेंगे।

सियासत, कानून और समाज तीनों ही परिदृश्यों में यह फ़ैसला याद दिलाता है कि भारत में न्याय और संविधान सबसे ऊपर हैं। त्योहार, शिक्षा, समाज और अधिकार सबके हैं। ज़ुबान और सोच लोगों को जोड़ने का ज़रिया हैं, बाँटने का नहीं।

आज़म ख़ान की रिहाई और न्यायपालिका के फ़ैसले दोनों ही इस बात का पैग़ाम हैं कि सच्चाई और इंसाफ़ देर से सही, लेकिन ज़रूर जीतते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

पॉपुलर

और देखे
और देखे

सहीफ़ा-ए-तक़दीर: क्या सब कुछ पहले से तय है?

(मुफ़्ती इनामुल्लाह खान) ज़िंदगी ख़ुशी और ग़म, कामयाबी और नाकामी,...

आर्थिक संकट के दौर से गुज़रने को मजबूर हैं उर्दू पत्रकार

(शिबली रामपुरी) पत्रकारिता का क्रेज़ या फिर पत्रकारिता की दिलचस्पी...