रईस खान
मुंबई के द वेस्टिन, पवई लेक में 26 और 27 सितम्बर को दो दिवसीय “द व्हीट समिट” का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का संचालन टफलस द्वारा किया गया, जिसमें देशभर से आए किसान प्रतिनिधि, कृषि विशेषज्ञ, मिलर्स, निर्यातक, नीति निर्माता और उद्योग जगत से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए।
समिट का उद्देश्य गेहूँ क्षेत्र में मौजूदा चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार करना तथा भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के उपाय खोजना था। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत दुनिया के सबसे बड़े गेहूँ उत्पादक देशों में शामिल है लेकिन गुणवत्ता और निर्यात क्षमता के मामले में अभी भी बहुत सुधार की आवश्यकता है। सम्मेलन में आधुनिक तकनीक, उन्नत बीज किस्में, ड्रिप इरिगेशन और डिजिटल फार्मिंग जैसी नई पद्धतियों को अपनाने पर विशेष बल दिया गया। इसके साथ ही फसल कटाई के बाद भंडारण और प्रसंस्करण की बेहतर तकनीकों की अहमियत पर भी चर्चा हुई।
कृषि बाजार और विपणन को लेकर वक्ताओं ने कहा कि किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए वैल्यू एडिशन यानी मिलिंग और प्रोसेसिंग सेक्टर को बढ़ावा देना जरूरी है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार तक आसान पहुँच बनाने के तरीकों पर भी विचार किया गया। सरकारी नीतियों, न्यूनतम समर्थन मूल्य और निर्यात नियमों पर भी बहस हुई और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर जोर दिया गया।
समिट का सबसे बड़ा पहलू यह रहा कि इसने किसानों, उद्योग जगत और नीति निर्माताओं को एक साझा मंच पर लाकर नए सहयोग और साझेदारी की संभावनाओं को जन्म दिया। निष्कर्ष के तौर पर यह संदेश उभरा कि यदि भारत तकनीक, गुणवत्ता और वैश्विक मांग पर ध्यान केंद्रित करे तो आने वाले वर्षों में वह न केवल घरेलू आवश्यकताओं की बेहतर ढंग से पूर्ति करेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय गेहूँ बाजार में भी अपनी मजबूत पहचान स्थापित कर सकेगा।