मॉरीशस में ‘रूल ऑफ लॉ मेमोरियल लेक्चर’ में मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने भाषण की शुरुआत भारत और मॉरीशस के गहरे रिश्तों को याद करते हुए की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने उपनिवेशवाद की तकलीफें झेली हैं और आज आजाद और लोकतांत्रिक समाज के रूप में एक-दूसरे के साथी हैं। उन्होंने कहा कि कानून ही ताकत है, न कि सत्ता की मनमानी।भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि भारत ‘कानून का राज’ मानने वाला देश है। यहां शासन मनमानी या ताकत से नहीं, बल्कि संविधान और कानून से चलता है।गवई ने कहा कि “कानून का राज” का मतलब है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वो आम नागरिक हो या सत्ताधारी, सबको कानून का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास में कई बार कानून का नाम लेकर अन्याय भी किया गया, जैसे कि गुलामी या औपनिवेशिक कानून, लेकिन असली कानून वही है जो न्याय, बराबरी और इंसाफ की रक्षा करे।
बुलडोजर से नहीं, संविधान से चलेगा भारत
गवई ने अपने ही हालिया फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि बिना सुनवाई और कानूनी प्रक्रिया के किसी का घर बुलडोजर से गिराना कानून के राज के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “भारत बुलडोजर के राज से नहीं, कानून के राज से चलता है।
कानून के शासन का सिद्धांत और भारत के सुप्रीम कोर्ट की ओर से उसकी व्यापक व्याख्या पर प्रकाश डालते हुए सीजेआई गवई ने कहा, “इस फैसले ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है.”
जस्टिस गवई मॉरीशस की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं. बुलडोजर जस्टिस मामले में दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कथित अपराधों को लेकर अभियुक्तों के घरों को गिराना कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार करता है, कानून के शासन का उल्लंघन करता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आश्रय के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.