(रईस खान)
“आई लव मुहम्मद” विवाद के बाद पुलिस कार्रवाई और बुलडोजर से प्रभावित मुस्लिम परिवारों के समर्थन में कई प्रमुख नेता, सांसद और धार्मिक संगठन सामने आए। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन, मुस्लिम संगठनों और मौलानों ने न्याय और शांति की अपील की।
छब्बीस सितंबर को “आई लव मुहम्मद” पोस्टर के विवाद के बाद बरेली में पुलिस कार्रवाई और बुलडोजर से प्रभावित हुए मुस्लिम परिवारों के समर्थन में देश भर से नेताओं और धार्मिक संगठनों ने आवाज उठाई है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस नेता, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, पसमांदा मुस्लिम महाज, आला हज़रत परिवार और मौलाना उबैदुल्ला खान आज़मी सहित कई प्रमुख शख्सियतों ने इस घटना की निंदा करते हुए न्याय और शांति बनाए रखने की अपील की।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बरेली में हुई पुलिस कार्रवाई को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा कि सरकार को शक्ति प्रदर्शन के बजाय संवाद और समझ से काम करना चाहिए। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश में हिंसा भड़काने के लिए सरकार की आलोचना की। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि “आई लव मुहम्मद” कहने पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी के लिए समान होनी चाहिए। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि भारत में प्रेम और अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान होना चाहिए और किसी धर्म के प्रति प्रेम व्यक्त करना अपराध नहीं है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने मस्जिदों में नमाज़ की स्वतंत्रता और सार्वजनिक प्रदर्शन से बचने की अपील की।
आला हज़रत परिवार, तौकीर रज़ा खान के भाई मौलाना तौसीफ रज़ा खान के माध्यम से, पुलिस की कथित मनमानी कार्रवाई और झूठे मुकदमे दर्ज करने की निंदा की और कहा कि बुलडोजर कार्रवाई और मकानों की तोड़फोड़ रोकी जाए। पसमांदा मुस्लिम महाज ने मुस्लिम युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि किसी भी तरह की हिंसा या प्रदर्शनों से बचें। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि प्रेम दिलों में होना चाहिए, सड़कों पर नहीं, और जनता से जुमे की नमाज़ के बाद शांतिपूर्ण ढंग से घर लौटने की अपील की। मौलाना उबैदुल्ला खान आज़मी ने धार्मिक भावनाओं को सड़कों पर व्यक्त करने के बजाय दिलों में रखने की सलाह दी और शांति तथा सौहार्द्र बनाए रखने पर जोर दिया।
बरेली विवाद ने देश में धार्मिक भावनाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन का सवाल खड़ा कर दिया है। राजनीतिक नेताओं और मुस्लिम संगठनों ने स्पष्ट किया कि अत्याचार और मनमानी कार्रवाई किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं है, जबकि धार्मिक नेताओं ने शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है। इस मामले ने यह भी रेखांकित किया कि संवेदनशील धार्मिक मामलों में संवाद, समझ और संवैधानिक अधिकारों का सम्मान ही स्थायी समाधान प्रदान कर सकता है।