गुफ़्तगू 2025 — डिजिटल दौर में मीडिया की अहमियत और जरूरत

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  (रईस खान)

मुंबई में मलाड पूर्व के अल-हीरा इंग्लिश हाई स्कूल में गुफ़्तगू -2025 का कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम का मकसद डिजिटल दुनिया में मुसलमानों की मीडिया में भूमिका, चुनौतियाँ और नए अवसरों पर चर्चा करना था। आयोजन क़ौमी फ़रमान डिजिटल मीडिया नेटवर्क और अल-हिरा इंग्लिश हाईस्कूल ने मिलकर किया। कार्यक्रम का संचालन रईस ख़ान ने किया।

गुफ़्तगू -2025 को मीडिया और समाज के बीच संवाद का मंच बनाया गया। इसका मकसद यह समझना था कि बदलते डिजिटल दौर में मुसलमानों की मौजूदगी कैसे असरदार और जिम्मेदार हो सकती है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार को कैसे जोड़ा जाए। बच्चे, नौजवान, औरतें और उम्र दराज लोगों को इससे कैसे फायदा पहुंचाया जाए, इस पर बात की गई।

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और डिजिटल मीडिया विशेषज्ञ शामिल हुए। वक्ताओं में रईस ख़ान, अफ़ताब आलम, अक़ील खान, उमर फ़राही और नेहाल सगीर, मुफ़्ती इनामुल्लाह ख़ान, अब्दुल बेलिम, शिबली रामपुरी, आसिफ खान और नूर क़ाज़ी थे।

वक्ताओं ने कहा कि मुसलमानों को मीडिया में सिर्फ मौजूद रहने के बजाय अपनी पहचान और प्रभाव दिखाना चाहिए। डिजिटल पत्रकारिता युवाओं के लिए नए अवसर खोलती है, लेकिन इसके लिए ज्ञान और जिम्मेदारी दोनों जरूरी हैं। डिजिटल मीडिया ने हर व्यक्ति को बोलने का मौका दिया है, लेकिन बोलते समय ईमानदारी और तहक़ीक़ जरूरी है। मीडिया तभी सफल होता है जब वह रचनात्मक और सकारात्मक नजरिया अपनाए।और क्वालिटी कंटेंट के साथ साथ ट्रेनिंग और प्रशिक्षण पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम में यह बात सामने आई कि मुसलमानों को अपने हित के लिए मीडिया संस्थाओं को मजबूत करना चाहिए। ताकि समाज की सच्ची तस्वीर और सकारात्मक छवि दुनिया के सामने आए। गुफ़्तगू 2025 ने यह संदेश दिया कि अब समय है सोच-विचार और सहयोग का, और मीडिया में जिम्मेदारी के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का। प्रोपेगंडा के खिलाफ “फैक्ट चेक” और सच्चाई पेश करना ज़रूरी है।

 

मुफ्ती इनामुल्लाह खान ने कार्यक्रम के अंत में सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज और मीडिया के बीच बेहतर समझ और सहयोग को बढ़ावा देते हैं और इन्हें लगातार आयोजित किए जाने की जरूरत है।

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