पटना :वोटर अधिकार यात्रा को एक नयी क्रांति मानने वाले राहुल गांधी महागठबंधन की प्रेस कांफ्रेंस में क्यों नहीं आये ? कांग्रेस उन्हें बिहार के ‘न्याय योद्धा’ के रूप में पेश कर रही थी। लेकिन वे तो ऐन मौके पर पीछे हट गये। क्या राजद ने राहुल गांधी को डरा दिया ? क्या राजद ने कांग्रेस को कोई धमकी दी ? 12 अक्टूबर को लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव दिल्ली गये थे। माना जा रहा था कि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर लालू यादव और तेजस्वी की राहुल गांधी के साथ बैठक होगी। लेकिन राहुल गांधी ने लालू-तेजस्वी से मुलाकात नहीं की। उस समय राहुल गांधी सीट बंटवारे को लेकर राजद के सामने झुकना नहीं चाहते थे। यहां तक कि वे तेजस्वी को सीएम फेस मानने के लिए भी रजामंद नहीं थे।आखिर 10 दिन में ऐसा क्या हो गया कि कांग्रेस, तेजस्वी को सीएम फेस मानने के लिए मजबूर हो गई?लालू यादव अगर गठबंधन तोड़ते तो कांग्रेस की फजीहत हो जाती। उसे विपक्षी एकता का खलनायक माना जाने लगता। पिछले साल जनवरी में नीतीश कुमार ने कांग्रेस की हठधर्मिता और स्वार्थी रवैये के कारण ही इंडिया एलायंस को छोड़ा था। तब आरोप लगा था कि कांग्रेस अपने हित के लिए क्षेत्रीय दलों को कमजोर करना चाहती है। अगर लालू यादव भी कांग्रेस से गठबंधन तोड़ देते तो कांग्रेस के पास कोई जवाब नहीं होता। राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस ही विपक्ष का नेतृत्व करे, इसका पुरजोर समर्थन सिर्फ लालू यादव ही करते हैं।

