तेलंगाना की राजनीति में शुक्रवार को एक नया अध्याय जुड़ गया, जब भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने राज्य के मंत्रिमंडल में शपथ ली। राज्यपाल श्री जिष्णु देव वर्मा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता और समर्थक मौजूद रहे।
अजहरुद्दीन ने शपथ के बाद अपने आधिकारिक बयान में कहा, “मैं आज तेलंगाना सरकार में मंत्री पद की शपथ लेकर गौरवान्वित और कृतज्ञ हूं। कांग्रेस नेतृत्व और प्रदेश के लोगों ने जो भरोसा जताया है, मैं उसे निष्ठा, ईमानदारी और उद्देश्य के साथ निभाऊंगा।”
खेल से राजनीति तक की यात्रा
मोहम्मद अजहरुद्दीन का जन्म 8 फरवरी 1963 को हैदराबाद में हुआ। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में उन्होंने 99 टेस्ट और 334 एकदिवसीय मैच खेले, और भारतीय क्रिकेट को 1990 के दशक में कई ऐतिहासिक जीतें दिलाईं। 2009 में वे राजनीति में आए और मुरादाबाद से कांग्रेस सांसद बने। बाद में वे तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यकारी अध्यक्ष बने।
तेलंगाना मंत्रिमंडल में नई जिम्मेदारी
31 अक्टूबर 2025 को उन्हें मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी की कैबिनेट में शामिल किया गया।
उनकी नियुक्ति से मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या 16 हो गई।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अजहरुद्दीन की एंट्री केवल प्रशासनिक कदम नहीं बल्कि राजनीतिक संकेत भी है, खासकर आगामी जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
कांग्रेस नेतृत्व ने इस कदम को अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व को मजबूत करने की दिशा में प्रयास बताया है। वहीं विपक्षी दल भाजपा ने इसे “चुनावी लाभ के लिए तुष्टीकरण की राजनीति” कहा है।
अवसर और चुनौतियाँ
अजहरुद्दीन के सामने अब बड़ी चुनौती यह है कि वे अपने मंत्री पद के कार्यकाल को केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि परिणामोन्मुख बनाएं। क्रिकेट मैदान पर जैसी सधी हुई रणनीति और धैर्य उन्होंने दिखाया था, अब वैसी ही समझ उन्हें प्रशासन और विकास के क्षेत्र में भी दिखानी होगी।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यदि वे जनता के भरोसे पर खरे उतरते हैं, तो न केवल कांग्रेस को बल्कि तेलंगाना की संयुक्त संस्कृति और सर्वधर्म सहअस्तित्व की भावना को भी मजबूती मिलेगी।
कांग्रेस की सॉफ्ट स्ट्रेटेजी
कांग्रेस के लिए यह कदम दोहरा लाभ ला सकता है, एक ओर पार्टी शहरी और मुस्लिम मतदाताओं में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, दूसरी ओर क्रिकेट जैसी राष्ट्रीय पहचान वाले चेहरे के माध्यम से युवाओं और मध्यमवर्गीय मतदाताओं तक भी पहुंच बनाना चाहती है। अजहरुद्दीन का व्यक्तित्व और लोकप्रियता इस राजनीतिक रणनीति को जमीन पर उतारने में अहम भूमिका निभा सकती है।
तेलंगाना की राजनीति में मोहम्मद अजहरुद्दीन का मंत्रित्व सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि “मैदान के अजहर” अब “मंत्रालय के अजहर” के रूप में कितनी दूर तक छाप छोड़ते हैं। अगर वे जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं, तो यह पारी उनकी सबसे यादगार इनिंग्स साबित हो सकती है।
-क़ौमी फ़रमान डिजिटल मीडिया नेटवर्क

