उन्नाव की ज़मीन ने कई आंदोलन देखे हैं, राजनीतिक, सामाजिक और न्यायिक। इन्हीं आवाज़ों में एक मज़बूत, सधी हुई और संवेदनशील आवाज़ है, एडवोकेट फ़ारूक़ अहमद की। “यश भारती सम्मान” से सम्मानित, हाईकोर्ट के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित वकील फ़ारूक़ अहमद ने बीते दो दशकों में अदालतों के ज़रिए न सिर्फ़ इंसाफ़ की लड़ाइयाँ लड़ीं, बल्कि विकास को न्याय से जोड़ने का एक नया रास्ता दिखाया। उनका सीधा लक्ष्य है कि आम आदमी को अदालती आदेश के जरिए लाभ पहुंचाने का। वह तहसील, सड़क, पुलिस स्टेशन, ब्लॉक और जिले का नया परिसीमन, स्वास्थ्य , पोस्टमार्टम, ट्रामा सेन्टर, अदालती सेवाएं और आवागमन की सुविधाएं आम लोगों के लिए चाहते हैं। वह चाहते हैं इन आवश्यक सेवाओं की समझ और सोच रखने वाले लोगों को इस मिशन में आगे आना चाहिए।
विकास की जंग अदालत के रास्ते
बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि इस इलाके में कई योजनाएँ ऐसी हैं, जो बरसों से फाइलों में पड़ी थीं। एडवोकेट फ़ारूक़ अहमद ने अपनी कानूनी समझ और प्रतिबद्धता से इन योजनाओं को अदालत में उठाया, कभी सड़क और पुल निर्माण को लेकर, कभी शिक्षा या स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं के अमल के लिए सरकार पर दबाव बनाया। उन्होंने कई पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन दाख़िल कीं, जिनके ज़रिए सरकारों को जवाब देना पड़ा और विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने की कोशिशें तेज़ हुईं।
बांगरमऊ को जिला बनाने की मुहिम
आज फ़ारूक़ अहमद का नया मिशन है, “बांगरमऊ को जिला बनाना” उनका कहना है कि उन्नाव का भौगोलिक विस्तार बहुत बड़ा है, और लखनऊ- कानपुर के बीच बसे इस ज़िले में प्रशासनिक भार ज़्यादा है। अगर बांगरमऊ को अलग जिला बनाया जाए, तो स्थानीय प्रशासन, औद्योगिक निवेश और ग्रामीण विकास को नई दिशा मिलेगी। उनके मुताबिक “जब निर्णय की दूरी घटेगी, तो विकास की गति बढ़ेगी। बांगरमऊ जिला बनने से न सिर्फ़ उन्नाव का भार कम होगा, बल्कि पूर्वी उन्नाव और आसपास के कस्बों को नई पहचान मिलेगी।”
औद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर की संभावनाएँ
बांगरमऊ का भूगोल, कृषि उत्पादन और व्यापारिक स्थिति इसे औद्योगिक केंद्र बनने की क्षमता देता है। यहाँ कृषि आधारित उद्योग, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, कोल्ड स्टोरेज, और लघु उद्योग कॉम्प्लेक्स के लिए पर्याप्त भूमि और श्रमबल उपलब्ध है। फ़ारूक़ अहमद के अनुसार: “अगर सरकार सही दिशा में नीतिगत समर्थन दे, तो बांगरमऊ में हज़ारों युवाओं के लिए रोज़गार सृजन हो सकता है। यह क्षेत्र सिर्फ़ खेती तक सीमित नहीं रहना चाहिए, इसे कृषि-उद्योग हब के रूप में विकसित किया जा सकता है।”
उन्नाव, लखनऊ और कानपुर का विकास त्रिकोण
लखनऊ- कानपुर औद्योगिक बेल्ट के बीच स्थित उन्नाव ज़िला उत्तर प्रदेश के विकास का एक “मिडल ज़ोन” है। लखनऊ से प्रशासनिक निकटता और कानपुर से औद्योगिक संपर्क, यह दोनों ही पहलू उन्नाव को विशेष बनाते हैं। फ़ारूक़ अहमद का मानना है कि उन्नाव, बांगरमऊ और सफीपुर को मिलाकर एक संतुलित विकास मॉडल बनाया जा सकता है। इसमें औद्योगिक क्षेत्रों का क्लस्टर, शिक्षा संस्थान, और स्वास्थ्य सुविधाओं को जोड़ने की ज़रूरत है।
गुफ़्तगू-2025: संवाद से समाधान की ओर
क़ौमी फ़रमान डिजिटल मीडिया नेटवर्क की पहल “गुफ़्तगू- 2025” के तहत यह परिचर्चा सिर्फ़ चर्चा नहीं, बल्कि विकास की दिशा तय करने का संवाद है। इस श्रृंखला का मक़सद है कि समाज के हर वर्ग, वकील, पत्रकार, समाजसेवी और आम नागरिक, को एक साझा मंच पर लाया जाए, ताकि नीति पर बात हो और सुझाव सरकार तक पहुँचें।
विकास का नया नक़्शा
एडवोकेट फ़ारूक़ अहमद का दृष्टिकोण साफ़ है, “विकास अदालत की दीवारों से शुरू होकर ज़मीन तक पहुँचना चाहिए।” उनकी कोशिशें न केवल बांगरमऊ के लिए, बल्कि पूरे उन्नाव के लिए नई संभावनाओं का दरवाज़ा खोल रही हैं। यह कहा जा सकता है कि अगर यह संवाद नीति में बदलता है, तो “गुफ़्तगू-2025” सचमुच उन्नाव के विकास की नई कहानी लिखेगी।
-रईस ख़ान
संपादक -क़ौमी फ़रमान डिजिटल मीडिया नेटवर्क

