(रईस खान)
उन्नाव के ए.बी. नगर स्थित दारुल उलूम फ़ैज़-ए-आम में गुफ्तगू 2025 कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें युवाओं की बेरोज़गारी, सरकारी योजनाओं की जानकारी और स्थानीय उद्योगों की संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई। कार्यक्रम का आगाज़ क़ौमी फ़रमान डिजिटल मीडिया नेटवर्क के संपादक रईस खान ने किया। उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी दूर करने के लिए जागरूकता बेहद आवश्यक है और इसी उद्देश्य से यह परिचर्चा आयोजित की गई है ताकि पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और बैंकिंग क्षेत्र मिलकर युवाओं के लिए नए अवसर खोल सकें।
कार्यक्रम में शामिल रिटायर्ड पीएनबी मैनेजर अब्दुल हमीद इदरीसी ने युवाओं से समूह बनाकर संगठित रूप से काम करने की अपील की। नासिर खान ने कहा कि योजनाएँ बहुत हैं लेकिन जानकारी न होने से जनता उनका लाभ नहीं ले पाती। संजय कुमार जायसवाल ने बताया कि उन्नाव में छिप्पा कढ़ाई का उद्योग बड़े पैमाने पर है, और यदि जागरूकता बढ़ाई जाए तो यह रोजगार का बड़ा साधन बन सकता है।

मोअज़्ज़म अली ने छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। अखिलेश तिवारी ने कहा कि बेरोज़गारी का संकट गंभीर है और यदि युवाओं को सही सहयोग मिले तो वे स्वयं उद्योग शुरू कर सकते हैं। उन्होंने हापुड़ और मेरठ के चमड़ा उद्योग का उदाहरण देते हुए उन्नाव की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। मुशीर आलम और एडवोकेट जैदी ने कागजी जरूरतों को महत्वपूर्ण बताया।
डॉ. मनीष सिंह सेंगर ने युवाओं को आधुनिक कौशल और प्रबंधन आधारित शिक्षा की जरूरत बताई। सैयद अफ़ज़ाल ने कहा कि बाहर जाकर लोग सफल होते हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर गंभीरता की कमी और जानकारी के अभाव में लोग आगे नहीं बढ़ पाते। उन्होंने इंस्पेक्टर राज जैसी समस्याओं का भी उल्लेख किया।
कार्यक्रम में रईस खान, अब्दुल हमीद इदरीसी, मोअज़्ज़म अली, संजय कुमार जायसवाल, नासिर अहमद खान, अखिलेश तिवारी, मोहम्मद जमाल, सुहैल, मोहम्मद उज़ैर हसन, मोहम्मद हसनैन रज़ा, मुशीर आलम खान, निशात आरिफ़, अफजाल अहमद, हसनैन जैदी (एडवोकेट) और डॉ. मनीष सिंह सेंगर समेत अनेक लोगों ने हिस्सा लिया।
सभी प्रतिभागियों का मत था कि उन्नाव में रजाई-कवर, चिकन कढ़ाई, एम्ब्रॉयडरी, सीमेंट आर्टिकल और लेदर जैसे उद्योगों में अपार संभावनाएँ हैं। सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और दस्तावेज़ी सहयोग मिले तो उन्नाव स्वयं-रोजगार और छोटे उद्योगों का महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।

