बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के कराची में एक ऐसा स्कूल भी है कि जहां पर किसी बच्चे को अगर पढ़ना है तो उसकी मां का दाखिला वहां जरूरी है और इसके लिए एक बड़ी वजह भी है.
जो महिलाएं किसी भी तरह की दिक्कत तकलीफ और परेशानी से गुजरती है जब वह यहां पर जाती हैं तो बच्चे के साथ-साथ उनको भी स्कूल में दाखिला लेना पड़ता है और उनको बाकायदा यहां पर जो उनका हुनर है उसको निखारने का भी मौका मिलता है. जैसे तहमीना की बहुत कम उम्र में शादी हो गई थी और उसके बाद उसका तलाक. वह बेहद कठिन हालातो का सामना कर रही थी जब स्कूल में अपने बच्चे के एडमिशन के लिए पहुंची तो उसे कहा गया कि आपको भी यहां पर एडमिशन लेना होगा. तहमीना को यहां पहुंच कर बहुत अच्छा लगा क्योंकि यह स्कूल दूसरे स्कूलों से बिल्कुल अलग है यहां पर तहमीना के बच्चे के साथ-साथ उसे भी पढ़ाया गया और मुश्किल दौर से निकलने के लिए कई तरह की थेरेपी भी दी गई. बीबीसी के मुताबिक यह स्कूल सबीना खत्री चला रही हैं जो खुद 8 साल की उम्र में मां से अलग होने का सदमा झेल चुकी है. 2006 में सबीना खत्री को महसूस हुआ कि उन्हें समाज के लिए कुछ करना चाहिए तब उन्होंने ल्यारी में एक स्कूल के साथ अपने मिशन की शुरुआत की और बच्चों के पढ़ाने के साथ-साथ उनकी मां को भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में इस स्कूल ने काफी अच्छा काम किया है. दरअसल सबीना जिस तरह के हालात से गुजरी है ऐसे हालात से वह दूसरों को बचाना चाहती है और इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने इस स्कूल का निर्माण किया है. मानसिक तौर से खराब हालात से गुजरने वाली महिलाओं के लिए यह स्कूल कई तरह की थेरेपी से उनका उपचार भी करता है. इस स्कूल में बच्चों की तरह मां के लिए भी सिलेबस रखा गया है जिसमें काउंसलिंग सेशन भी शामिल है.