पुस्तक समीक्षा -मेरा राजनीतिक जीवन

Date:

(समीक्षकः कमल देवबंदी, वरिष्ठ लेखक)

नाम पुस्तक – मेरा राजनीतिक जीवन (उर्दू-हिन्दी)
लेख – मरहूम इलियास आज़मी (पूर्व विधायक)
संकलन – अरशद सिद्दीकी आज़मी
मिलने का पता – 09, एम्बेस्सी सेंटर, नेरीमन प्वाइंट मुम्बई – 40021
शब्द ‘‘इक़रा‘‘ के बाद इस
ज़मीन पर कितनी किताबें
लिखी गई और प्रकाशित
हुई इसका आंकड़ा किसी
के पास नहीं है। विश्व स्तर पर हर पुस्तकालय का
अपना एक संकलन का आंकड़ा है। बड़े-बड़े
पुस्तकालय एक लाख से पच्चीस लाख तक पुस्तकें
होने का दावा करते हैं मगर यह संख्या असंख्य है। कुछ
किताबें लम्बे समय के बावजूद दिलों में ज़िंदा है। उनमें
संकलित किया गया साहित्य और इतिहास आज भी
लागों के ज़बान पर है। करोड़ों किताबें समय की चिता
पर जलकर राख हो गईं। कुछ किताबें अपनी भाषा,
विचार के कारण विवादित भी रहीं। किताबे प्रतिबंधित
भी हुईं और किताबें सम्मानित भी हुईं। बेजान किताबों
ने अरबों जानदार लागों को जीने का सलीक़ा सिखाया
किताबें लिखने वाले और उनको पढ़कर अमल करने
वाले पूरे संसार के लिये मार्गदर्शक बने।
गत् दिनों मरहूम इलियास आज़मी के लेखों का संकलन जिसको उनके पुत्र अरशद ‘‘मेरा राजनीतिक जीवन‘‘
सिद्दीक़ी आज़मी ने प्रकाशित किया है। उर्दू और हिन्दी में यह प्रकाशित यह पुस्तक भारत में मुग़लों के पतन से
लेकर वर्तमान राजनीतिक क्रिया कलापों पर इतना स्पष्ठ लिखा गया है कि 1947 के बाद से अब तक किसी ने
इतना साहस नहीं जुटाया जितना साहस मरहूम इलियास आज़मी के लेखों में मिलता है।
उन्होंने जो शाीर्षक चुने है वो अपनी ओर न सिर्फ आकर्षित करते बल्कि सत्यता और तथ्यों के आधार पर
प्रमाणित भी करते है। जैसे मुस्लिम बादशाहों की ऐतिहासिक ग़लती, कांग्रेस की कोख से साम्प्रदायिकता का
जन्म, विभाजन की जिम्मेदारी इंसाफ के तराज़ू पर, गांधी जी का दुर्भाग्यपूर्ण अंत, मनु और जवाहर लाल नेहरू,
प्रोजेक्ट की हुई मुस्लिम लीडर शिप, नेतृत्व आसमान से नहीं टपकता और मुसलमानों की अस्ल समस्या क्या है
जैसे विषयों पर बहादुरी के साथ लिखा है। निश्चित रूप से 1947 के बाद से किस तरह राजनितिक व्यक्तित्व
और दलों ने मुसलमानों के साथ हर क्षेत्र में छल कपट किया। लेखों में इसका विवरण आंखे खोल देने वाला है वो
एक जगह लिखते हैंः-
सबसे मुख्य सच्चाई यह है कि भारत विभाजन मंे एक भी मुसलमान की भूमिका नहीं मुस्लिम लीग तो कहीं थी हीं
नहीं कांग्रेस ने जो विभाजन कराया उसमंे ‘‘कांग्रेसी मुसलमान’’ शामिल नहीं क्यांेकि वर्किंग कमेटी के दोनांे
मुसलमानांे ने प्रस्ताव का विरोध किया था। परन्तु इस को क्या कहा जाए कि पिछले स 76 साल से विभाजन की
ज़िम्मेदारी मुसलमानांे पर डाली जा रही है। यह कांग्रेसी फ्ऱाड का सब से खुला चेहरा तथा शाहकार है कि जो
विभाजन 100 प्रतिशत कांग्रेस वर्किंग कमेटी के प्रस्ताव द्वारा करवाया उस की ज़िम्मेदारियांे नेहरू और कांग्रेस ही
मुसलमानांे पर डालते रहे।
माउन्ट बेटन को कांग्रेस के विभाजन प्रस्ताव को मान लेने पर पहले ही राज़ी किया जा चुका था। मिस्टर जिनाह
पर यह ख़बर बिजली बनकर गिरी वह रात भर अपने कमरे मंे टहलते रहे उन्हंे पता था कि माउन्टबेटन वही
करेगा जो नेहरू की मर्ज़ी है वह अब बंटवारे को रोक ही नहीं सकते। इसलिए सवेरा होते ही वह अपने को
‘बाबाए पाकिस्तान’ बन जाने से नहीं रोक पाए।
मुसलमानांे की सबसे बड़ी ट्रेजडी यह है कि वह आज भी 1862 और 1912 के बीच उलेमा के संघर्ष पर फ़ख़्र
करता है उसे तहरीक खि़लाफ़त पर भी नाज़ है जबकि यही दो गलतियां मुसलमानांे के पतन तथा ब्राहम्ण बनिया
उत्थान का कारण बनीं।
मुसलमानांे के कुछ ‘‘क़लम फ़रोश दानिश्वर’’ सन् 1946-47 की घटनाआंे को मुसलमानांे की सामूहिक ग़लती
मानते हैं जब कि 1937 से 1947 तक मुसलमानांे ने रत्ती बराबर भी ग़लती नहीं कि वह अपनी जंग बहुत पहले
हार चुके थे। फिर भी उन्हांेने केवल 10 साल के संघर्ष मंे अपने मुनाफ़िक़ांे की पहचान कर ली बल्कि उन्हांेने उस
संवेदनशील दौर मंे आश्चर्यजनक अक़लमन्दी, सख़्त जानी और तेज़रफ़्तार एकजुटता का परिचय देते हुए अपने
आपको फना के घाट उतर जाने से बचा लिया।
उपर लेख में जो सच्चाई और तथ्य हैं वो चौंकाने वाले भी हैं और एक वर्ग इससे असहमत भी होगा। मगर मरहूम
इलियास आज़मी का सच सर बुलंदी के साथ क़ाबिले तवज्जों और क़ाबिले कबूल है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

पॉपुलर

और देखे
और देखे

क्यूआर कोड स्कैम के जाल से बचने को ज़रूरी है सावधानी

कैसे रहें सुरक्षित? केवल भरोसेमंद स्रोतों से प्राप्त क्यूआर...

रेहान अल्लाहवाला की दमदार सलाह-क्या बच्चे अपनी स्कूल फीस खुद भर सकते हैं?

सलीम हबीब यूनिवर्सिटी में इस प्रभावशाली भाषण में, रेहान...

आइए समझते हैं चाइनीज़ मांझा क्यों है इतना खतरनाक

पतंग उड़ाने के लिए ज्यादातर चाइनीज मांझे का इस्तेमाल...

राहुल गाँधी बोले -प्यार ही नफरत को हरा सकता है

दिल्ली :राहुल गांधी ने पीएम मोदी और केजरीवाल पर...