संकट में फंसे श्रृद्धालुओं के लिए मुसलमानों ने खोल दिए अपने घरो से लेकर मस्जिद और दिल के दरवाज़े

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कुम्भ में मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ की वजह से हुई भगदड़ की घटना के बाद इलाके के मुसलमान बाबाओं के फरमान को खारिज करते हुए  परेशान हाल श्रद्धालुओं की मदद करने के लिए आगे आ चुके हैं. मुसलमान श्रद्धालुओं के लिए अपने घर- दरवाज़े, स्कूल, कॉलेज जैसे सार्वजनिक स्थान और यहाँ तक कि मस्जिदों के दरवाजें भी खोल दिए हैं. उनके खाने- पीने का इंतज़ाम कर रहे हैं. सर्दी में उनके लिए कम्बल मुहैया करा रहे हैं. चौक स्थित जामा मस्जिद और खुल्दाबाद स्थिति मस्जिद में भी श्रद्धालुओं को शरण दिया गया है. इलाके के मुस्लिम नौजवान उनके लिए भंडारा चला रहे हैं. उनकी ज़रूरतों का ख्याल रख रहे हैं. बाइक सवार लड़के अकीदतमंदों को लिफ्ट देकर उन्हें सहारा दे रहे हैं. मुस्लिम डॉक्टर उनकी सेवा कर रहे हैं. मुस्लिम डॉक्टर नाज फातिमा ने घायल श्रद्धालुओं के लिए अपना क्लिनिक समर्पित कर दिया है. उनके काम की लोग तारीफ कर रहे हैं. कुछ मुस्लिम बस्तियों से गुजरने वाले श्रद्धालुओं पर लोग पुष्प वर्षा भी करते देखे गए हैं. नमाज़ियों ने श्रद्धालुओं को पुष्प और रामनामी अंगवस्त्र देकर स्वागत किया. कुम्भ के आयोजन से दूर रहने के बावजूद इलाहाबाद के स्थानीय मुसलमान संकट में फंसे श्रृद्धालुओं की मदद करने के लिए अपने घरों से निकलकर सड़कों पर उतर चुके हैं. उनके लिए भोजन, पानी, कपड़ा, दवा, और आश्रय का इंतज़ाम करने में जुट गए हैं. वो उनके लिए अपने घर, मस्जिदों और दिल के दरवाज़े खोल रहे हैं.  इलाहाबाद से कई ऐसे कई विडियोज और तस्वीरें सामने आ रही है, जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हमारी जड़ें कितनी गहरी है. कोई नेता या संत सियासत तो कर सकता है, लेकिन लोगों के दिलों को आपस में बाँट नहीं सकता है.

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