मुंबई (रईस खान)बुधवार 25 जून, 2025 को वरिष्ठ पत्रकार समी बुबेरे का इंतकाल हो गया। दैनिक शामनामा और साप्ताहिक सुबह उम्मीद के संपादक अब्दुल समी 82 साल के थे। उनका जन्म 17 नवम्बर 1945 को हुआ था।
वह उर्दू पत्रकारिता के साथ-साथ,एक अंग्रेजी पत्रिका, इंडो गल्फ के संपादक भी रहे थे। उनकी उर्दू में प्रकाशित 23 पुस्तकें रेख़्ता ने अपने पोर्टल पर भी शामिल की है। सहयोग कल्चरल सोसायटी के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने सामाजिक और शैक्षिक सेवाएं भी दीं।
उनके परिवार में एक बेटा उमर बुबेरे और तीन बेटियाँ हैं।
मरहूम को मगरिब की नमाज के बाद मुंबई शहर के बड़े कब्रिस्तान में दफन किया गया।
इस मौके पर अंजुमन-ए-इस्लाम के मानद सचिव और उनके भांजे अतीक हफीज, अंजुमन-ए-इस्लाम के अध्यक्ष डॉ. जहीर काजी, उर्दू टाइम्स के संपादक सईद अहमद, दैनिक हिंदुस्तान के संपादक सरफराज आरज़ू, पत्रकार नदीम सिद्दीकी, जावेद जमालुद्दीन, ओबैद खान, यूसुफ शेख और शहर के सम्मानित उर्दू पत्रकार और राजनीतिक हस्तियां इसमें शामिल हुईं।
उन्होंने हमेशा युवा पत्रकारों को प्रोत्साहित किया। वह मुंबई स्थित जामा मस्जिद ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे। उर्दू पत्रकार संघ के महासचिव सरफराज आरज़ू ने समी बुबेरे की मृत्यु पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यह उर्दू पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने आधी सदी तक पत्रकारिता की सेवा की और उर्दू के साथ-साथ वे मराठी और हिंदी पत्रकारों के बीच समान रूप से लोकप्रिय रहे।