मुहर्रम इस्लाम के चार पवित्र महीनों में से एक है, जो हिजरी कैलेंडर का पहला महीना है। यह मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें इमाम हुसैन इब्न अली की शहादत को याद किया जाता है, जो कर्बला की जंग (680 ई.) में शहीद हुए थे।
इस्लाम में अहले बैत का मतलब है पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) का परिवार, जिसमें उनकी बेटी हज़रत फातिमा, दामाद हज़रत अली, और उनके बेटे हज़रत हसन व हुसैन शामिल हैं। उम्मुलमोमिनीन भी अहले बैत का हिस्सा मानी जाती हैं।
इमाम हुसैन पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) के नाती और हज़रत अली व हज़रत फातिमा के छोटे बेटे थे। मुहर्रम की 10 तारीख (आशूरा) को इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत कर्बला (आज का इराक) में हुई। यह जंग यज़ीद बिन मुअविया के खिलाफ थी, जिसे मुसलमान अन्यायी शासक मानते हैं।
इमाम हुसैन ने सत्य, न्याय और इस्लाम की मूल शिक्षाओं की रक्षा के लिए अपनी जान दी। मुसलमानों में मुहर्रम खासकर पहले 10 दिन, इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम, मजलिस (धार्मिक सभाएं), और ताज़िया (शोक सभाएं) के रूप में मनाया जाता है। मुहर्रम अहलेबैत के बलिदान और इस्लाम के मूल्यों की रक्षा की याद दिलाता है।