जुमा के दिन की अहमियत-जुमा का दिन बरकतों और रहमतों का तोहफ़ा

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      (रईस खान)

हर हफ़्ते का सबसे पाक, सबसे मुक़द्दस और सबसे बरकतों वाला दिन है जुमा। इसे “सय्यदुल-अय्याम” यानी “सभी दिनों का सरदार” कहा गया है। जुमा का दिन मुसलमानों के लिए एक खास नेमत है — एक ऐसा दिन जो हमारे ईमान को ताज़ा करता है, हमें नेकियों की तरफ़ बुलाता है और दुनियावी भागदौड़ से निकाल कर रूहानी सुकून देता है।

तो आइए, जानते हैं कि हम जुमा के दिन को कैसे और बेहतर बना सकते हैं — ऐसे आसान और सुन्नत अमलात के साथ जो हर मुसलमान मर्द और औरत के लिए निहायत फायदेमंद हैं।

सुबह उठ कर ग़ुस्ल करें, नाखून वग़ैरह साफ़ करें, और पाक-साफ़ कपड़े पहनें। यह अमल न सिर्फ़ सुन्नत है, बल्कि इंसान को ताज़गी और पाकीज़गी का एहसास भी देता है।

रसूल ﷺ को सफेद कपड़े पसंद थे। मर्दों को चाहिए कि साफ़ सुथरे कपड़े पहनें और इत्र लगाएं (औरतें घर में)। यह सुन्नत है और एक पाक रवैया भी।

अगर मुमकिन हो तो जुमा के दिन सूरह अल-कहफ़ पढ़ें। हदीस में आता है “जो जुमा के दिन सूरह अल-कहफ़ पढ़े, उसके लिए दो जुमा के दरमियान नूर होता है।”
(हदीस: अल-हाकिम)

जितना जल्दी जुमा की नमाज़ के लिए मस्जिद जाएंगे, उतना ज्यादा सवाब मिलेगा। खुतबा शुरू होने से पहले पहुंचना और तसल्ली से बैठना सुन्नत तरीका है। जुमा के दिन रसूल ﷺ पर ज्यादा से ज्यादा दुरूद भेजना चाहिए। “तुम्हारा दुरूद मेरे पास पेश किया जाता है।” (हदीस)

खुतबा ग़ौर से सुनना वाजिब है। उस दौरान बात करना, मोबाइल चलाना, या किसी से इशारा करना भी मना है। रसूल ﷺ ने बताया कि जुमा के दिन एक ऐसा लम्हा होता है जिसमें मांगी गई दुआ ज़रूर कबूल होती है। उलमा कहते हैं, यह वक्त अस्र और मग़रिब के दरमियान होता है।

ग़रीबों को खाना खिलाएं, किसी बेसहारा की मदद करें, या कोई नेक काम करें। जुमा के दिन किया गया हर अच्छा अमल दुगना सवाब रखता है।
कब्रों की ज़ियारत इंसान को मौत की याद दिलाती है और दिल को नरम बनाती है।

खुतबा के दौरान कोई बात न करें। मोबाइल फोन बंद या साइलेंट रखें। नमाज़ में लापरवाही या देर न करें। जुमा की तैयारी को हल्के में न लें।

जुमा दरअसल एक reminder है — कि हमने पूरे हफ्ते क्या किया? और आगे कैसे बेहतर बन सकते हैं? ये दिन है खुद का जायज़ा लेने का, गुनाहों से तौबा करने का, और ज़िन्दगी को बेहतर राह पर लाने का।

“जुमा सिर्फ़ एक नमाज़ नहीं, बल्कि रूह की सफाई और ईमान की ताज़गी का दिन है।” तो इस जुमा से इरादा करें कि हम हर जुमा को अपनी ज़िन्दगी का turning point बनाएंगे — नेक आमाल के साथ, सच्चे दिल से…

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