शीर्ष अदालत ने 29 जुलाई को पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और वृक्ष प्राधिकरण को परियोजना के लिए 95 पेड़ों को काटने की बीएमसी की याचिका पर निर्णय लेने की अनुमति दे दी। जीएमएलआर परियोजना का मकसद वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे तक सड़क संपर्क विकसित करना है ताकि मुलुंड और गोरेगांव के बीच यात्रा का समय लगभग एक घंटे कम हो सके।
बीएमसी ने शीर्ष अदालत के 10 जनवरी के आदेश को ध्यान में रखते हुए याचिका दायर की थी। उक्त आदेश में नगर निकाय के वृक्ष प्राधिकरण को निर्देश दिया गया था कि वह मुंबई की आरे कॉलोनी में उसकी अनुमति के बिना भविष्य में एक भी पेड़ काटने की अनुमति न दे।सुप्रीम कोर्ट ने गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) परियोजना के लिए मुंबई की फिल्म सिटी में 95 पेड़ काटे जाने को लेकर अपनी सहमति दे दी। चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच महत्वाकांक्षी जीएमएलआर परियोजना के लिए जिम्मेदार बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें विकास के पहले चरण के लिए पेड़ काटे जाने की न्यायालय से अनुमति मांगी गई थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता ने पीठ को सूचित किया कि वृक्ष प्राधिकरण ने अपनी सहमति दे दी। जो बेंच की मंजूरी पर निर्भर करता है। इस बीच प्रधान न्यायाधीश ने मुंबई के वन संरक्षक को छह सप्ताह के भीतर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। इसमें शहर में अब तक किए गए प्रतिपूरक वनीकरण का विवरण दिया गया हो। बीएमसी ने पीठ को प्रतिपूरक वनीकरण के नियमों का पालन करने का आश्वासन दिया। इसमें काटे गए पेड़ के एवज में लगाये जाने वाले पौधों की ‘जियो-टैगिंग’ से संबंधित नियम भी शामिल हैं।

