किसी ने कहा था “पढ़ाई ही इंसान की सबसे बड़ी ताक़त है”…
शायद इसी पर यक़ीन करके असम के 85 वर्षीय अहमद अली ने अपनी ज़िंदगी समर्पित कर दी..
बचपन में पढ़ाई छूट गई, हाथ में किताब की जगह रिक्शे की हैंडल आ गई..
लेकिन दिल में ठान लिया जो मैं नहीं सीख पाया, वो मेरे गाँव के बच्चे ज़रूर सीखेंगे..
रिक्शा चलाकर, पसीने की कमाई जोड़कर, अपनी 32 बीघा ज़मीन बेचकर
उन्होंने अब तक 9 स्कूल खड़े कर दिए,जिसमें 3 लोअर प्राइमरी,5 इंग्लिश मीडियम,1 हाई स्कूल शामिल है..
हर क्लासरूम में उनकी मेहनत, हर ब्लैकबोर्ड पर उनका त्याग लिखा है..
आज वो कहते हैं..
“मैंने पढ़ाई खोई थी, पर दूसरों की पढ़ाई कभी नहीं रुकनी चाहिए..”
अब वो कॉलेज बनाने की तैयारी में हैं..
ताकि आने वाली पीढ़ी अंधेरे से रोशनी की ओर बढ़ सके..
अहमद अली ने दिखा दिया कि असली हीरो पर्दे पर नहीं, ज़मीन पर मिलते हैं..
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