कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रजिस्ट्रेशन केवल शादी के सबूत के रूप में कार्य करता है, और रजिस्ट्रेशन न होने से शादी की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ता।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि शादी का रजिस्ट्रेशन न होने से शादी अमान्य नहीं होती। कोर्ट ने साफ किया कि शादी का रजिस्ट्रेशन सिर्फ शादी का सबूत देने का एक आसान तरीका है, लेकिन इसका न होना शादी को गैर-कानूनी नहीं बनाता। जस्टिस मनीष निगम ने 26 अगस्त को दिए अपने फैसले में यह बात कही। यह फैसला आजमगढ़ के एक फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए आया, जिसमें एक याचिकाकर्ता की अर्जी को खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने शादी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को जमा करने से छूट मांगी थी।