मुंबई में “समस्त मानव जाति के लिए दया” विषय पर हुआ आयोजन, 85 शोधपत्र प्रस्तुत, 10 को मिला सम्मान
(रईस खान/ शिबली रामपुरी)
पैगंबर मुहम्मद ﷺ के जन्म के 1500 वर्ष पूरे होने के मौके पर मुंबई में बुधवार को “पैगंबर मुहम्मद ﷺ : समस्त मानव जाति के लिए दया” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य पैगंबर ﷺ के जीवन और शिक्षाओं को समझाना, इस्लाम के बारे में गलतफहमियों को दूर करना और शांति, भाईचारा व सर्वधर्म सद्भाव को बढ़ावा देना था।
सम्मेलन की अध्यक्षता प्रो. एच.एन. कलानिया (महासचिव, खैरुल इस्लाम उच्च शिक्षा सोसायटी) ने की। मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. संजय देशमुख ने कहा “पैगंबर मुहम्मद ﷺ की शिक्षाएँ किसी एक धर्म या समुदाय तक सीमित नहीं हैं। उनका संदेश शांति, करुणा और न्याय का है, जो पूरी मानवता को राह दिखाता है।”
सम्मानित अतिथियों में डॉ. दीपक साबले (भारत कॉलेज), श्री विनोद राघवन (पीटीआई), श्री के. वेंकटरमन (एसआईईएस), कैप्टन अमित सान्याल, डॉ. धनेश्वर हरिचंदन, श्री अरविंद धोंड, डॉ. मनोज वर्दे और प्रो. गंगाधरन मेनन शामिल थे।
सम्मेलन में ऑनलाइन और ऑफलाइन मिलाकर कुल 85 शोधपत्र प्रस्तुत हुए। इनमें अमेरिका और ओमान से भी योगदान रहा। भारत में जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से विद्वानों ने हिस्सा लिया। अकेले मुंबई से 61 शोधपत्र आए।
महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और विज्ञान, आर्थिक न्याय, शिक्षा, उद्यमिता और व्यावसायिक नैतिकता जैसे विषयों पर लिखे गए 10 उत्कृष्ट शोधपत्रों को पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में यह बात सामने आई कि पैगंबर मुहम्मद ﷺ की शिक्षाएँ करुणा, इंसाफ और शिक्षा पर आधारित हैं। आज की अशांत दुनिया में उनका संदेश शांति और सद्भाव की राह दिखाता है।
सम्मेलन को सफल बनाने में एडवोकेट यूसुफ अब्राहानी, डॉ. जैबुन्निसा मलिक, डॉ. सिराजुद्दीन चौगले, आमिर इदरीसी, सईद खान,फरीद अहमद . प्रो. अब्दुल रशीद और महाराष्ट्र कॉलेज की टीम की अहम भूमिका रही।
कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों और मेहमानों के प्रति आभार प्रकट करते हुए हुआ और यह संकल्प लिया गया कि पैगंबर ﷺ के बताए रास्ते – सच्चाई, दया और न्याय – को जीवन का हिस्सा बनाया जाएगा।