(रईस खान)
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी सरकार ने जनता की गाढ़ी कमाई से अडानी समूह को बचाने का प्रयास किया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर दावा किया कि एलआईसी पर दबाव डालकर लगभग ₹34,000 करोड़ का निवेश अडानी समूह की कंपनियों में कराया गया, जबकि विदेशी बैंकों ने घूसखोरी के आरोपों के बाद अडानी को कर्ज देने से इनकार कर दिया था।
रमेश ने कहा कि यह “मोदानी महाघोटाले” का नया खुलासा है और संसद की लोक लेखा समिति को इसकी जांच करनी चाहिए। उनके अनुसार, मई 2025 में तैयार एक सरकारी प्रस्ताव के तहत यह निवेश इसलिए कराया गया ताकि बाजार में अडानी समूह के प्रति “विश्वास का संदेश” जाए।
कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों ने किसके दबाव में यह निर्णय लिया और एलआईसी को निर्देश देने का अधिकार किसने दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में सितंबर 2024 में अडानी समूह पर आरोप तय होने के बाद केवल चार घंटे में ही एलआईसी को ₹7,850 करोड़ का नुकसान हुआ।
नवजीवन अखबार के मुताबिक रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर अन्य कंपनियों पर दबाव डाला ताकि वे अपनी संपत्तियां अडानी समूह को बेच दें। उन्होंने यह भी कहा कि अडानी समूह को ठेके दिलाने के लिए सरकारी और राजनयिक संसाधनों का इस्तेमाल किया गया तथा कोयले की “ओवर-इनवॉइसिंग” से बिजली दरें बढ़ीं।
कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण को जनता की बचत के “व्यवस्थित दुरुपयोग” और “क्रोनी कैपिटलिज़्म” का उदाहरण बताया है।

