(रईस खान)
उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्योग जगत को राहत देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब प्रदेश में औद्योगिक और व्यापारिक अपराधों पर जेल भेजने की व्यवस्था लगभग समाप्त कर दी गई है। राज्य मंत्रिमंडल ने यह मंजूरी दी है कि ऐसे मामलों में अब केवल अर्थदंड यानी जुर्माने का प्रावधान रहेगा। सरकार के इस कदम से करीब निन्यानवे प्रतिशत औद्योगिक कानूनों में सजा से जुड़ी धाराएँ खत्म हो जाएँगी।
पहले औद्योगिक या व्यापारिक कार्यों में छोटी-मोटी तकनीकी भूलों पर भी कारखानेदारों और व्यापारियों को जेल भेजने का डर बना रहता था। जैसे फैक्ट्री रजिस्टर में कमी रह जाना, लाइसेंस का नवीनीकरण समय पर न कर पाना, या किसी फार्म में त्रुटि होना, इन सब पर भी आपराधिक कार्रवाई की संभावना रहती थी। अब सरकार ने माना है कि ऐसे मामूली मामलों में जेल भेजना न तो व्यावहारिक है और न ही उद्योगों के विकास के लिए उचित।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार ने यह कदम प्रदेश में औद्योगिक माहौल को और सरल व सुरक्षित बनाने की दिशा में उठाया है। इस फैसले का उद्देश्य है उद्योग जगत को अनावश्यक कानूनी बोझ से मुक्त करना, ताकि उद्यमी भयमुक्त होकर अपने कार्य का विस्तार कर सकें। इससे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के मानकों पर उत्तर प्रदेश और ऊँचाई पर पहुँचेगा।
हालांकि सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जिन अपराधों में पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है, मजदूरों की जान को खतरा पहुँचता है या जानबूझकर धोखाधड़ी की जाती है, उन मामलों में सख्त कार्रवाई और जेल की व्यवस्था यथावत रहेगी। परंतु सामान्य व्यापारिक नियमों और दस्तावेजी त्रुटियों के मामलों में अब केवल अर्थदंड या चेतावनी दी जाएगी।
यह निर्णय लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों के लिए विशेष राहत लेकर आया है। छोटे उद्योगपति जो अब तक डर और दवाब के कारण परेशान रहते थे, वे अब पूरी निश्चिंतता के साथ अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकेंगे। इस कदम से नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।
लघु उद्योग भारती के प्रदेश सचिव मनीष अग्रवाल ने इस फैसले पर उत्तर प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय वास्तव में लाखों छोटे उद्यमियों को नई ऊर्जा देगा। अब उद्योगपति जेल के भय से नहीं, बल्कि उत्पादन और नवाचार की दिशा में सोचेंगे। यह निर्णय उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भरता और औद्योगिक प्रगति के मार्ग पर और मजबूत बनाएगा।

