(शिब्ली रामपुरी)
बिहार में विधानसभा चुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं उसमें एनडीए को शानदार कामयाबी और महागठबंधन को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है इसमें सबसे खराब स्थिति कांग्रेस की रही है. महागठबंधन ने सीएम के चेहरे के तौर पर तेजस्वी यादव को पेश किया था और वहां पर तेजस्वी यादव लगातार चुनावी मैदान में मेहनत भी कर रहे थे लेकिन नतीजा उनके मुताबिक नहीं आए .
एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर अपनी उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से एमआईएम को 5 सीटों पर कामयाबी हासिल हुई है तो वहीं एमआईएम ने महागठबंधन का राजनीतिक गणित बहुत सारी सीटों पर बिगाड़ दिया. काबिले गौर हो कि बिहार विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले ही एमआईएम की तरफ से महागठबंधन में शामिल होने के प्रयास किए गए थे लेकिन महागठबंधन में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को शामिल नहीं किया गया जिसका खामियाजा कहीं ना कहीं बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को चुकाना पड़ा है. दरअसल असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी जहां पर भी चुनाव लड़ती है वहां पर एमआईएम कितनी सीटों पर कामयाबी हासिल करेगी इससे ज्यादा सभी की दिलचस्पी इस बात में रहती है कि एमआईएम के चुनावी मैदान में उतरने से किस राजनीतिक दल को कितना नुकसान होगा और किसको सीधे तौर पर इसका फायदा होगा और यही बिहार विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला है. राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखने वाले और गहरी समझ रखने वाले काफी लोगों का यह मानना है कि एमआईएम को यदि महागठबंधन में शामिल कर लिया जाता तो हार जीत तो अपनी जगह है लेकिन फिर नतीजे शायद कुछ और ही होते.

