(रईस खान)
देश के स्वास्थ्य मंत्रियों की परंपरा में एक नया अध्याय जोड़ते हुए झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने दावा किया है कि वे देश के पहले ऐसे मंत्री हैं जो अपनी मेडिकल ट्रेनिंग को सीधे राजनीतिक भूमिका में उतारकर जनता की सेवा करेंगे। मंगलवार को रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) में खुद ओपीडी में बैठकर सैकड़ों मरीजों का इलाज करने के बाद उन्होंने कहा, “मंत्री बनने से पहले मैं डॉक्टर हूं। जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दिलाना मेरा मिशन है।” यह निर्णय न केवल स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता लाने वाला है, बल्कि सरकारी तंत्र की जमीनी हकीकत को बदलने की दिशा में एक अनोखा उदाहरण साबित हो रहा है।
डॉ. अंसारी, जो एमबीबीएस और एमडी की डिग्री यूक्रेन की डोनेट्स्क स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से हासिल कर चुके हैं, ने अपने चिकित्सकीय अनुभव को अब मंत्री पद पर लागू करने का फैसला लिया है। 18 नवंबर को उन्होंने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि वे पूरे झारखंड का जिलावार भ्रमण करेंगे और हर जिले के सदर अस्पताल में खुद ओपीडी संचालित करेंगे। इस दौरान वे अस्पतालों की वास्तविक स्थिति का आकलन करेंगे, डॉक्टरों का नया रोस्टर तैयार करेंगे और दवाओं की कालाबाजारी पर नकेल कसेंगे। RIMS के निरीक्षण के दौरान उन्होंने मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदने की मजबूरी का सामना करते देखा और तत्काल सुधार के निर्देश दिए।
यह कदम झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव है, जहां ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी और सुविधाओं का अभाव लंबे समय से समस्या बना हुआ है। डॉ. अंसारी ने RIMS ओपीडी में बैठते हुए कहा, “मैंने आज सैकड़ों मरीजों का उपचार किया और उनकी हर समस्या सुनी। यह सिर्फ शुरुआत है, मैं हर जिले में जाकर व्यवस्था को मजबूत करूंगा।”
उनके इस फैसले की सराहना विपक्ष और समर्थकों दोनों से हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी सोशल मीडिया पर इसे जनसेवा का प्रतीक बताया।
डॉ. अंसारी का राजनीतिक सफर भी उतना ही प्रेरणादायक है जितना उनका चिकित्सकीय।
जामताड़ा से तीन बार विधायक चुने गए 45 वर्षीय इरफान पूर्व विधायक फुरकान अंसारी के पुत्र हैं। जुलाई 2024 में हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद वे स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, परिवार कल्याण, खाद्य आपूर्ति और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं। लेकिन अब, वे साबित कर रहे हैं कि मंत्री की कुर्सी से उतरकर जमीनी स्तर पर काम करना ही सच्ची सेवा है। “देश में पहली बार कोई स्वास्थ्य मंत्री खुद डॉक्टर की भूमिका निभा रहा है। यह मेरी मेडिकल ट्रेनिंग का राजनीति में सबसे बड़ा उपयोग है,” उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय अन्य राज्यों के लिए मिसाल बनेगा।स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “मंत्रियों का अस्पतालों में उतरना न केवल जवाबदेही बढ़ाएगा, बल्कि डॉक्टरों को भी प्रेरित करेगा।”
हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। झारखंड में 24 जिलों में फैली स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने के लिए डॉ. अंसारी को व्यापक संसाधनों की जरूरत होगी। फिर भी, उनका संकल्प दृढ़ है, “जहां कमी मिलेगी, वहीं जाकर उसे सुधारूंगा।” डॉ. इरफान अंसारी का यह अनोखा उदाहरण साबित करता है कि राजनीति में चिकित्सा का मिश्रण जनता के लिए वरदान साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में उनके जिलावार भ्रमण पर सभी की नजरें टिकी हैं। क्या यह कदम झारखंड को स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी राज्य बनाएगा? समय ही बताएगा, लेकिन शुरुआत तो शानदार है।

