जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पत्रकार अरफाज अहमद डांग के एकमंजिले घर को प्रशासन द्वारा बुलडोजर से ध्वस्त करने की घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। चन्नी इलाके में गुरुवार रात को हुई इस कार्रवाई से न केवल डांग का पूरा परिवार बेघर हो गया, बल्कि इसने पत्रकारिता की आजादी और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जम्मू डेवलपमेंट अथॉरिटी ने इसे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने का अभियान बताया है, लेकिन डांग इसे अपनी साहसिक रिपोर्टिंग का बदला मानते हैं, जो हाल ही में ड्रग तस्करी के एक बड़े रैकेट के भंडाफोड़ से जुड़ी थी।
अरफाज अहमद डांग, जो न्यूज सहार इंडिया के संस्थापक और संपादक हैं, पिछले 40 वर्षों से जम्मू में रह रहे हैं। उनके पिता गुलाम कादिर, जो मूल रूप से डोडा जिले के निवासी थे, 1980 के दशक में उग्रवाद के कारण परिवार के साथ जम्मू आ बसे थे। यहां मजदूरी करते हुए उन्होंने इस घर का निर्माण किया, जो उनके नाम पर रजिस्टर्ड था। डांग की पत्नी और तीन नाबालिग बच्चों के साथ उनके बुजुर्ग माता-पिता भी इस घर में रहते थे। डांग ने बताया कि कार्रवाई से ठीक पहले कोई औपचारिक नोटिस नहीं दिया गया, और यह सब रात 10 बजे के आसपास भारी पुलिस बल के साथ अचानक शुरू हो गया। “यह मेरी पत्रकारिता के खिलाफ साजिश है। मैंने हाल ही में जम्मू ईस्ट के एक ड्रग तस्करी नेटवर्क पर रिपोर्ट की थी, जिसमें पूर्व डीएसपी को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। नए डीएसपी सच्चित शर्मा की तारीफ करने के बावजूद, यह कार्रवाई चुनिंदा लग रही है,” डांग ने कहा घटना के तुरंत बाद डांग का परिवार रिश्तेदारों के पास शरण लेने को मजबूर हो गया। लेकिन इस विपत्ति में एक चमकदार किरण तब दिखी जब उनके हिंदू पड़ोसी कुलदीप कुमार ने आगे आकर पांच मरला, लगभग 136 वर्ग गज, जमीन दान करने की पेशकश की। वायरल हो चुके एक वीडियो में कुमार ने कहा, “हम सब एक हैं। अरफाज भाई ने हमेशा पड़ोसियों की मदद की है। अब उनकी बारी है।” यह कदम न केवल डांग परिवार के लिए राहत बना, बल्कि जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी। इसकी प्रतिक्रिया में एक कश्मीरी बिजनेसमैन ने कुमार को सम्मानित करने के लिए उन्हें भी जमीन ऑफर की, जो आर्मी वेटरन रह चुके हैं।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इस घटना ने तूफान ला दिया। डिप्टी सीएम ने जेडीए से ‘सेलेक्टिव’ कार्रवाई पर स्पष्टीकरण मांगा है, जबकि सरकार ने जांच का वादा किया है। बीजेपी नेताओं ने डांग परिवार से मुलाकात की और सहायता का आश्वासन दिया। विपक्षी दलों और पत्रकार संगठनों ने इसे प्रेस फ्रीडम पर हमला करार दिया। डांग के खिलाफ पहले भी चार एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिसमें 2022 में एक अन्य तोड़फोड़ विरोधी प्रदर्शन की कवरेज शामिल है। 2015 से उनकी रिपोर्टिंग में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर ड्रग तस्करी के आरोप लगते रहे हैं, जो उनके 5 लाख फॉलोअर्स वाले प्लेटफॉर्म पर वायरल होती रही।
वर्तमान में डांग कानूनी कदम उठाने की योजना बना रहे हैं, जबकि जेडीए का कहना है कि कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई। यह घटना जम्मू-कश्मीर में बढ़ते बुलडोजर अभियानों के बीच आ रही है, जहां कई अन्य अतिक्रमणों पर चुप्पी साधे रखी गई है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, इस मामले के और खुलासे होने की उम्मीद है।
~क़ौमी फरमान डिजिटल मीडिया नेटवर्क

