(रईस खान)
आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर बांगरमऊ, उन्नाव में ‘अल जहां पैलेस’ मैरिज हॉल का शिलान्यास बड़े ही जोशो-ख़रोश के साथ संपन्न हुआ। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और हरदोई-उन्नाव रोड जंक्शन के निकट स्थित यह आधुनिक वेन्यू क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़ा उपहार साबित होगा, जहाँ शादी-विवाह और सामाजिक कार्यक्रमों को बेहतर सुविधाओं के साथ आयोजित किया जा सकेगा।
कार्यक्रम प्रातः 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चला तथा समयानुसार सभी चरण सम्पन्न हुए। माहौल में उल्लास और भाईचारा झलक रहा था। कार्यक्रम का आग़ाज़ क़ुरआन की तिलावत और दुआ से किया गया। इसके बाद प्रमुख मेहमानों ने अपने हाथों से कंक्रीट डालकर नींव रखने की रस्म अदा की, जो समारोह का मुख्य आकर्षण रहा।

शहर काज़ी जनाब ज़िया उल आरफ़ीन साहब ने कार्यक्रम की सरपरस्ती की। अपने खिताब में उन्होंने कहा कि “अल जहां पैलेस न केवल शादी-विवाह का केंद्र बनेगा, बल्कि क्षेत्र की तरक्की, सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की मजबूत पहचान साबित होगा।”
मुख्य अतिथियों में अली अहमद खान और शाहजहाँ बेगम विशेष रूप से उपस्थित रहे। इन्होंने भी कंक्रीट डालकर नीव डालने में हिस्सा लिया और दुआओं में शरीक हुए। इसके अलावा इजहार खान गुड्डू, इंजीनियर सगीर अहमद, इंजीनियर मजीद खान, डॉ. मुदस्सिर जावेद, नाज़िम अली, फ़रज़ंद अली, रिज़वान अहमद, ज़ुल्फ़िकार अंसारी, राकेश चौरसिया, फ़ज़लुर्रहमान और फ़रीद अहमद समेत कई प्रमुख हस्तियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण घोषणा आयोजकों द्वारा की गई। बताया गया कि भवन निर्माण पूर्ण होने के बाद यहां होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के लिए यह स्थल निशुल्क दिया जाएगा। साथ ही बिना दहेज होने वाली शादियों के लिए विशेष छूट दी जाएगी। यह पहल क्षेत्र में दहेज प्रथा के विरुद्ध ठोस कदम और सामाजिक सुधार की दिशा में अहम मील का पत्थर मानी जा रही है।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक दुआओं के साथ हुआ, जिसमें क्षेत्र की अमन-चैन, खुशहाली और एकता की दुआ मांगी गई।
यह उत्सव बांगरमऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब का जीता-जागता उदाहरण साबित हुआ, जहाँ हिंदू-मुस्लिम एक साथ होकर खुशी बांटते नज़र आए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ‘अल जहां पैलेस’ के निर्माण से क्षेत्र में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, सामाजिक आयोजनों में सुविधा आएगी और दहेज जैसी कुरीतियों को मिटाने में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

