मुस्तफ़ा सुलेमान:एक ऐसी शख़्सियत जिसने आर्टिफ़िशियल इण्टेलिजेन्स की दुनिया में नई इबारत लिख दी

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 (रईस खान)

मुस्तफ़ा सुलेमान की ज़िंदगी किसी आम इंसान की दास्तान नहीं बल्कि एक ऐसे सफ़र का नाम है जिसमें जुनून भी है सब्र भी है और एक ऐसी सोच भी है जिसने दुनिया के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी प्लेटफ़ॉर्म को नई दिशा दे दी। लन्दन की साधारण गलियों से निकलकर दुनिया के सबसे प्रभावशाली एआई लीडरशिप में शामिल होना आसान नहीं था मगर सुलेमान ने यह नामुमकिन काम सम्भव कर दिखाया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

मुस्तफ़ा सुलेमान का जन्म 1984 में लन्दन में हुआ। उनके वालिद एक सीरियाई मूल के टैक्सी ड्राइवर थे और उनकी वालिदा इंग्लिश नर्स थीं। घर का माहौल बेहद सरल था मगर ख़्वाब बड़े थे। तीन भाइयों में बड़े होने के नाते ज़िम्मेदारी जल्दी ही कंधों पर आ गई मगर इसी ने उनमें स्थिरता और हौंसला पैदा किया।

तालीम और शुरुआती सफ़र

मुस्तफ़ा ने अपनी पहली पढ़ाई थॉर्नहिल प्राइमरी स्कूल में की और बाद में क्वीन एलिज़ाबेथ स्कूल बार्नेट पहुँचे। वे पढ़ाई के साथ साथ समाज और इंसानियत से जुड़े सवालों पर गहरी सोच रखते थे। उनकी योग्यता ने उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड तक पहुँचा दिया जहाँ उन्होंने फ़िलॉसफ़ी और थियोलॉजी विषय चुने। मगर 19 साल की उम्र में उन्होंने यह समझकर पढ़ाई छोड़ दी कि उनकी राह क़िताबों से बाहर है ज़िंदगी के असली मैदान में।

समाज सेवा की राह

ऑक्सफ़ोर्ड छोड़ने के बाद उन्होंने यू.के. में एक भावनात्मक सहायता सेवा शुरू की जिसका नाम था मुस्लिम यूथ हेल्पलाइन। यह सेवा जल्दी ही देश की सबसे अहम हेल्पलाइन बनी और यहाँ से मुस्तफ़ा ने इंसान की तकलीफ़ को समझना और उसके समाधान की सही दिशा सीख ली।

डीपमाइंड की नींव

सन 2010 में मुस्तफ़ा ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर एक ख़्वाब देखा। मशीनों को सोचने का हुनर सिखाने का ख़्वाब।

यही वह पल था जब डीपमाइंड की शुरुआत हुई, दुनिया का वह शोध-घर जिसने आर्टिफ़िशियल इण्टेलिजेन्स की परिभाषा ही बदल दी। सन 2014 में गूगल ने डीपमाइंड को ख़रीद लिया और मुस्तफ़ा उसकी नीतियों उसके प्रोजेक्ट्स और उसकी इंसानी दिशा तय करने वालों में शामिल हुए।

इन्फ़लेक्शन एआई और फिर माइक्रोसॉफ़्ट एआई

गूगल के बाद उन्होंने इन्फ़लेक्शन एआई नाम से एक नई कंपनी शुरू की जहाँ उनका मक़सद एआई को और ज़्यादा इंसान-मित्र बनाना था। उनकी इसी सोच और क्षमता ने 2024 में माइक्रोसॉफ़्ट को उन्हें अपनी नयी बनी डिवीज़न माइक्रोसॉफ़्ट एआई का सीईओ नियुक्त करने पर मजबूर कर दिया। आज वे कोपायलट बिंग और एज जैसे बड़े प्रोडक्ट्स की दिशा निर्धारित कर रहे हैं।

नेतृत्व की अनोखी शैली

मुस्तफ़ा सुलेमान टीम को दिशा दिखाते हैं बोझ नहीं डालते। वे कठिन सवालों से डरते नहीं बल्कि उनका समाधान खोजते हैं। उनकी सोच साफ है दिल साफ है और इरादा बेहद मजबूत।

इंसानी मूल्यों को तकनीक से जोड़ने वाला दिमाग

एआई की तेज़ रफ़्तार दुनिया में जहां कई लोग मशीन की ताक़त पर मोहित होते हैं वहीं मुस्तफ़ा यह याद दिलाते हैं कि तकनीक का असली मकसद इंसान की ज़िन्दगी आसान करना है। वे मशीनों को इंसान का सहायक बनाना चाहते हैं उसका मुकाबला नहीं।

मुस्तफ़ा सुलेमान आज एक मिसाल हैं कि ज़िंदगी कहाँ से शुरू होती है यह मायने नहीं रखता बल्कि आप उसे कहाँ तक ले जाते हैं यह सबसे ज़रूरी है। उनकी शख़्सियत में सादगी भी है दूरअंदेशी भी है और एक ऐसा जज़्बा भी है जो दुनिया को बदलने की क़ाबिलियत रखता है।

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