इज़राइली कैदियों ने कहा-उन्होंने हमारा अपने परिजन की तरह ख़याल रखा

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ज़ायोनी महिला कैदियों की अदला-बदली के दौरान फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध आंदोलन हमास के लड़ाकों के व्यवहार पर व्यापक प्रतिक्रियाएं सामने आईं और एक बार फिर से ज़ायोनी कैदियों के साथ उनके व्यवहार की ओर ध्यान आकर्षित हो गया है।

पार्सटुडे के अनुसार, एक महिला इज़राइली क़ैदी लियात एट्ज़िली ने हारेत्ज़ के साथ एक इन्टरव्यू में हमास के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा किया और कहा: फ़िलिस्तीनी लड़ाकों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार किया, उन्होंने उसे धमकाया नहीं और उसे अपने कपड़े पहनने की अनुमति दी और यहां तक ​​​​कि उसका चश्मा ढूंढने में उसकी मदद भी की।

वह खान यूनिस में एक घर की रहने वाली हैं और एक फिलिस्तीनी लड़ाकू की मां उसका भरपूर ख़याल रखती थी। प्रतिरोध के लड़ाकों ने उसे वह सब कुछ दिया जो वह चाहती थी और उसे नहाने और अपने कपड़े धोने की भी छूट दी।

लियात के मुताबिक, वह घर पर पूरी तरह से आजाद थी और कोई उनकी देखभाल नहीं करता था। वह अंदर स्वतंत्र रूप से घूम सकती थीं और उन्हें अल जज़ीरा चैनल देखने की छूट भी थी।

गार्डों ने शाकाहारी भोजन में उनकी रुचि देखी और उन्हें पिज्जा और फल और सब्ज़ियां भी दीं।

एक अन्य इज़राइली कैदी एनिल ने अपनी रिहाई से एक दिन पहले क़स्साम ब्रिगेड के कमांडरों को एक पत्र में लिखा था: मैं अपनी बेटी एमिलिया के बारे स्वभाव से हटकर इंसानियत के लिए दिल की गहराई से आभारी हूं।

आप उसके लिए माता-पिता की तरह थे और जब भी वह चाहती थी आप उसे अपने कमरे में आने देते थे।

उसे लगा कि आप सब उसके दोस्त हैं और सिर्फ़ दोस्त ही नहीं, बल्कि उसके सच्चे रिश्तेदार भी हैं।

बच्चों को कैद में नहीं रखा जाना चाहिए, लेकिन आपका और रास्ते में मिलने वाले अन्य अच्छे लोगों का धन्यवाद, मेरी बेटी को ग़ज़ा में एक रानी की तरह ज़िंदगी बिताने का एहसास हुआ।

मैं हमेशा आपका ऋणी रहूंगी क्योंकि मेरी बेटी ग़ज़ा से सुरक्षित निकली और उसे कुछ मानसिक नुकसान नहीं हुआ।

इज़राइली बंदी योख़ाविद लेविस्टर ने अपनी रिहाई के बाद मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में हमास के लड़ाकों के मानवीय व्यवहार के बारे में बात की।

उन्होंने कहा, जब हमने ग़ज़ा में प्रवेश किया, तो उन्होंने सबसे पहले हमें बताया कि वे क़ुरआन पर विश्वास रखते हैं और मुसलमान हैं और हमें नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। उन्होंने हमसे कहा कि वे हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे जैसा वे अपने आसपास के लोगों के साथ करते हैं। वे बहुत अच्छे और दयालु थे।

वे हमेशा यह चाहते थे कि हम अच्छा खाएं, पिएं, हमारा और उनका खाना अलग नहीं था। उन्होंने हमारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने हर चीज़ पर ध्यान दिया।

48 वर्षीय इज़राइली बंदी अल्मोग गोल्डस्टीन ने इजराइल के चैनल 12 के साथ एक साक्षात्कार में कहा, हमास के सदस्य मुझे और मेरे तीन बच्चों को इजराइली युद्धक विमानों की बमबारी से बचाने के लिए अपने ज़िंदगी तक क़ुरबान करने को तैयार थे, जब बमबारी शुरू हुई तो हम एक सुपरमार्केट में थे।

हमने एक बिस्तर के पीछे एक खाई बना ली थी और हथियारबंद हमास गार्ड हमारे सामने खड़े हो गए और अपने जिसम से हमारी रक्षा करने लगे।

इज़राइली कैदियों द्वारा उनके प्रति हमास के सभ्य व्यवहार की स्वीकृति तब सामने आई जब ज़ायोनी “कान” चैनल के रिपोर्टर ने एलान किया कि ग़ज़ा में युद्धविराम के पहले चरण की परिधि में रिहा की गई तीन इज़राइली महिला क़ैदियों ने 471 दिनों की कैद के दौरान अरबी भाषा अच्छी तरह से सीख ली और वे बिल्कुल स्वस्थ हैं।

स्पुतनिक समाचार एजेंसी ने 400 से अधिक दिनों की क़ैद के बाद ज़ायोनी महिला कैदियों की बेहतर शारीरिक स्थितियों का जिक्र करते हुए लिखा कि उनकी अनुकूल शारीरिक परिस्थितियां ज़ाहिर करती हैं कि फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ता नैतिक और मानवीय सिद्धांतों का कितना पालन करते हैं।

हिब्रू भाषा के मीडिया ने यह भी बताया कि हमास के सदस्यों ने ज़ायोनी क़ैदियों को रिहा होने पर उपहार दिए, जिनमें गाजा पट्टी का नक्शा, क़ैदियों की तस्वीरें और शुक्रिया अवार्ड शामिल था। (AK)

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