दिल्ली :DGHS स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़ी मुख्य नियामक संस्था है, जो हेल्थकेयर के मामलों पर नजर रखती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को लिखे एक खत में DGHS ने कहा कि इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (IAPMR) समेत कई संगठनों ने इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताई है। खत में DGHS की डायरेक्टर जनरल डॉ. सुनीता शर्मा ने लिखा, ‘फिजियोथेरेपिस्ट मेडिकल डॉक्टर्स की तरह ट्रेनिंग नहीं लेते। इसलिए वे ‘डॉ.’ उपाधि का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे मरीजों और आम लोगों को गुमराह किया जाता है और झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा मिल सकता है।सरकार की स्वास्थ्य नियामक संस्था डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज यानी कि DGHS ने फिजियोथेरेपी के नए पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग की है। इसका मकसद है कि फिजियोथेरेपिस्ट ‘डॉ.’ उपाधि का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे मरीजों में भ्रम पैदा हो सकता है और उन्हें गुमराह किया जा सकता है। यह मामला फरवरी 2025 में जारी ‘कॉम्पिटेंसी बेस्ड करिकुलम फॉर फिजियोथेरेपी’ से जुड़ा है। इस पाठ्यक्रम में सुझाव दिया गया था कि फिजियोथेरेपी ग्रेजुएट्स अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ लगाकर और पीछे ‘पीटी’ (PT) शब्द जोड़कर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अब DGHS ने इसे गलत बताते हुए तुरंत सुधार की हिदायत दी है।

