(रईस खान)
इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिऊन
हज़रत जी मौलाना पीर ज़ुल्फ़िकार अहमद नक़्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह हमारे दौर की एक अज़ीम दीनी और रूहानी शख़्सियत थे। आप नक़्शबंदी सिलसिले के बुज़ुर्ग, मशहूर आलिमे दीन, सच्चे सूफ़ी और लाखों लोगों के मुर्शिद व रहनुमा थे। आपकी ज़िंदगी इल्म, अमल, तज़किया ए नफ़्स और इख़लास से भरी हुई थी। आपने हर दौर में लोगों को क़ुरआन व सुन्नत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने की दावत दी।
हज़रत जी रहमतुल्लाह अलैह ने तालीम व तरबियत के मैदान में बेमिसाल ख़िदमात अंजाम दीं। आपने मदरसों, जमातों और रूहानी मराक़िज़ के ज़रिये दीन की शमा रोशन की। आपकी ख़ानक़ाहें और मजालिस सिर्फ़ इबादत की जगह नहीं थीं बल्कि इस्लाहे नफ़्स, अख़लाक़ की तरबियत और समाज की भलाई का मरकज़ थीं। आपने तौहीद, सुन्नत, ज़िक्र, सब्र, शुक्र और बंदों के हुक़ूक़ की तालीम आम की।
हज़रत जी की सबसे बड़ी पहचान उनकी सादगी, आज़िज़ी और दर्द ए उम्मत था। आप हर छोटे बड़े से मोहब्बत और नरमी से पेश आते थे। गुनाहों में फँसे लोगों के लिए आप रहमत का दरवाज़ा थे। आपने हज़ारों नहीं बल्कि लाखों ज़िंदगियों को इस्लाह की राह दिखाई। आपके बयानों में न नफ़रत थी न सख़्ती बल्कि मोहब्बत, असर और अमल की दावत होती थी۔
आपकी तालीमात का ख़ुलासा यही था कि अल्लाह से सच्चा ताल्लुक़, रसूल ए करीम ﷺ की मुकम्मल पैरवी, सच्चाई, अमानतदारी और अच्छे अख़लाक़ ही इंसान को कामयाबी तक पहुँचाते हैं। आपने हमेशा दुनिया की फ़ानी हक़ीक़त और आख़िरत की तैयारी की याद दिलाई।
शेख ज़ुल्फ़िकार अहमद नक़्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह
(जन्म 1 अप्रैल 1953 – निधन 14 दिसंबर 2025)
वर्तमान युग के तसव्वुफ़ के सबसे बड़े और प्रभावशाली बुज़ुर्गों में से एक थे।
नक़्शबंदी सिलसिले में इजाज़त और ख़िलाफ़त मिलने के बाद, आपने 40 वर्ष की उम्र में एक उच्च सरकारी पद महाप्रबंधक से सेवानिवृत्ति लेकर अपना पूरा जीवन दीन ए इस्लाम की ख़िदमत के लिए वक़्फ़ कर दिया।
आपने 60 से अधिक देशों की यात्रा की और दुनिया भर में लाखों लोगों की ज़िंदगी में रूहानी बदलाव पैदा किया। अल्लाह से गहरा इश्क़, रसूल ए करीम ﷺ की सुन्नत से मज़बूत जुड़ाव और शरीअत पर पुख़्ता अमल आपकी पहचान था। यही वजह है कि हज़ारों उलमा और दीन के तालिबे इल्म आपके मुरीद बने।
आपने दर्जनों किताबें लिखीं और आपके बयानों व मजालिस से 200 से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हुईं, जिनका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। अमेरिका, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक आपके चाहने वाले और शिष्य फैले हुए हैं।
आपका रूहानी सिलसिला भरोसेमंद बुज़ुर्गों के ज़रिये सीधे पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ तक जुड़ता है। दारुल उलूम देवबंद के दारुल इफ़्ता ने भी आपको नक़्शबंदी सिलसिले का विश्वसनीय वरिष्ठ बताया।
आप 2013–2014 में दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में शामिल किए गए। आपने आख़िरी नबूवत के अक़ीदे की मज़बूती से हिफ़ाज़त की और उम्मत को गुमराही से बचाने की कोशिश की।
14 दिसंबर 2025 की सुबह 72 वर्ष की उम्र में आपका इंतक़ाल हुआ, लेकिन आपकी तालीमात, किताबें और रूहानी फ़ैज़ हमेशा ज़िंदा रहेंगे।
अल्लाह तआला हज़रत जी मौलाना पीर ज़ुल्फ़िकार अहमद नक़्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह की मग़फ़िरत फ़रमाए, दरजात बुलंद फ़रमाए, जन्नतुल फ़िरदौस में आला मक़ाम अता फ़रमाए और हमें उनके मिशन को आगे बढ़ाने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।
आमीन या रब्बुल आलमीन

